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من مشكاة النبوة (7) الطفلة والصلاة!! (خطبة) (باللغة الهندية)

من مشكاة النبوة (7) الطفلة والصلاة!! (خطبة) (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

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تاريخ الإضافة: 19/11/2022 ميلادي - 25/4/1444 هجري

الزيارات: 5440

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शीर्षक:

पैगंबरी कंदील(7)

बच्ची एवं नमाज़


अनुवादक:

फैज़ुर रह़मान ह़िफज़र रह़मान तैमी

 

प्रथम उपदेश:

प्रशंसाओं के पश्चात


सर्वोत्तम बात अल्लाह की पुस्तक है,सर्वश्रेष्ठ मार्ग मोह़म्मद सलल्लाहु अलैहि वसल्लम का मार्ग है और सबसे दुष्टतम चीज़ (धर्म में) अविष्कार की गईबिदअ़तें (नवाचार) हैं और प्रत्येक वनाचार गुमराही है।


रह़मान के बंदो पैगंबर की सीरत (जीवनी) एक ऐसा सोताहै जो सूखता नहीं और इसमें अनगिनत लाभ एवं अधिक इबरतें छुपी हैं,आपके सामने पैगंबर की जीवनी का एक घटना प्रस्तुत किया जा रहा है।


अबूक़तादा अंसारी रज़ीअल्लाहु अंहु से वर्णित है कि रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ह़ज़रत ओमामा रज़ीअल्लाहु अंहा को उठाए हुए नमाज़ पढ़ लेते थे जो आपके प्रिय ह़ज़रत ज़ैनब रज़ीअल्लाहु अंहा और ह़ज़रत अबूलआ़स बिन रबीआ़ बिन अ़ब्दे शम्स की पुत्री थी।जब आप सजदा करते तो उसे उतार देते और जब खड़े होते तो उसे उठालेते।इसे बाख़ारी व मुस्लिम ने वर्णन किया है।इसका अधिक विवरण अबूदाउूद की रिवायत में आया है,अत: अबूक़तदा से वर्णित है,वह कहते हैं कि एक बार हम नमाज़ के लिए अल्लाह के रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम का प्रतीक्षा कर रहे थे,ज़ोहर की नमाज़ थी अथवा अ़सर की नमाज़।और ह़ज़रत बिलाल रज़ीअल्लाहु अंहु ने आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम को नमाज़ के लिए बोलाया।जब आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम आए तो ओमामा पुत्री अबुलआ़स अर्थात आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की पुत्री (ज़ैनब रज़ीअल्लाहु अंहा) की पुत्री आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की गर्दन पर थी।अत: आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने मोसल्ले पर खड़े हुए और हम भी आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के पीछे खड़े हो गए जबकि वह बच्ची अपने उसी स्थान पर थी (अर्थात आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की गर्दन पर)।आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तकबीर कही तो हम ने भी तकबीर कही।यहाँ तककि जब रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने रुकू करना चाहा तो उसे पकड़ कर बैठा दिया,फिर रुकू किया और सजदा किया।जब आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने सजदे को पूरा किया खड़े हुए तो उसे फिर गर्दन (कंधे) पर बैठा लिया।रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम प्रत्येक रकअ़त में ऐसे ही करते रहे,यहाँ तक कि अपनी नमाज़ पूरी करली।


आइए पैगंबर की जीवनी के इस घटने पर विचार करते हैं:

इस घटने से यह स्पष्ट होता है कि रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम सादगी से जीवन यापन करते थे,अपने घर से नमाज़ के लिए निकलते हैं,मस्जिद जाते हैं जहाँ लोगों इकट्ठा होते हैं,यह दृश्य औपचारिकतासेभरपूरसम्मान व आदर और बनावटीरोब व हैबत से अति अधिक दूर था,यह मानव जीवन की सादगी और मानव भावनाओं के प्रति त्तकालप्रतिक्रियाको बयान करात है,इस सादगी के बावजूद आपकी हैबत और रोब व दबदबा में कोई कमी नहीं आई।


रह़मान के बंदो इस बच्ची का यह दृश्य कि वह पैगंबर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के कंधे पर सवार थी,मानो वह अपने नन्हे हाथों से आप का सर पकड़ कर आपसे चिमटी हुई थी,यह दृश्य बताता है कि इससे पहले आप के घर के अंदर का दृश्य भी ऐसा ही था कि आप अपने घर के अंदर उस बच्ची से लाड प्यार कर रहे थे,और जब नमाज़ के लिए निकलना चाहे तो वह आप के साथ खेल कूद में अति मगन थी,इस लिए आप न छोड़ कर बाहर निकले और न उसे रोने दिया,बल्कि उसे अपने कंधे पर उठाया और ऐसा दृश्य प्रस्तुत करते हुए निकले जिससे पेदराना भावना और पैगंर की रह़मत का मुँह बोलता चित्र सामने आ रहा था।


विचार करने की बात है यह भी है कि जिस (नबी) ने नमाज़ की स्थिति में अपनी नत्नी को कंधे पर उठाए रखा,सजदा में जाते तो उसे नीचे उतारते और खड़े होते तो उसे उठा लेते,इसी नबी का यह फरमान भी है: मेरी आँखों की ठ़डक नमाज़ में है ।इससे शरीअ़त में आसानी का एक पहलू झलकता है।


अल्लाह तआ़ला मुझे और आपको क़ुरान व सुन्नत की बरकत से माला-माल फरमाए,उनमें जो आयत एवं निती की बात आई है,उससे हमें लाभ पहुँचाए,आप अल्लाह से क्षमा मांगें,नि:संदेह वह अति क्षमाशील है।


द्वतीय उपदेश:

الحمد لله...


प्रशंसाओं के पश्चात:

इस छोटी से बच्ची के साथ यह प्रेम एवं अनुराग,सदाचार एवं सुंदर व्यवहार का एक विस्तृत क्षेत्रहै जिस में उसकी माँ ज़ैनब पुत्री रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम भी शामिल हैं जिन को दोहरी प्रसन्नता हुई कि उनकी पुत्री को रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के निकट यह स्थान प्राप्त हुआ।


बेटियों के साथ सुंदर व्यवहार करने के लाभ उनके बेटों एवं बेटियों को भी पहुँचते हैं,इसका क्षेत्रविस्तृतहोते जाता और इसके लाभ बढ़ते जाते हैं।


नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस दृश्य पर जिस में आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने कंधे पर एक बच्ची को उठाए हुए बाहर निकलते हैं,विचार करने का एक पहलू यह भी है कि:इससे लड़की का दोहरा सम्मान स्पष्ट होता है,क्योंकि वह लड़की आपकी पुत्री की पुत्री थी।आप उसे अपने कांधे पर उठाए हुए नमाजि़यों के पसा आए ताकि कड़कियों के आदर एवं सम्मान से संबंधित एक व्यवहारिक पाठ प्रस्तुत कर सकें और दिलों में जाहिलियत के जो शेष प्रभाव रा गए थे,उनका समापन कर सकें,वह जाहिलियत जिस में लोग बेटों की ओर एक तरफा झुकाव रखते और बेटियों को तुच्छ मातने थे:

﴿ وَإِذَا بُشِّرَ أَحَدُهُمْ بِالْأُنْثَى ظَلَّ وَجْهُهُ مُسْوَدًّا وَهُوَ كَظِيمٌ * يَتَوَارَى مِنَ الْقَوْمِ مِنْ سُوءِ مَا بُشِّرَ بِهِ أَيُمْسِكُهُ عَلَى هُونٍ أَمْ يَدُسُّهُ فِي التُّرَابِ أَلَا سَاءَ مَا يَحْكُمُونَ ﴾ [النحل: 58، 59].

अर्थात:और जब उन में से किसी को पुत्री (के जन्म) की शुभसूचना दी जाये तो उस का मुख काला हो जाता है,और वह शोक पूर्ण हो जाता है।और लोगों से छुपा फिरता है उस बुरी सुचना के कारण जो उसे दी गयी है।(सोचता है कि) क्या उसे अपमान के साथ रोक ले,अथवा भूमि में गाड़ दे देखो वह कितना बुरा निर्णय करते हैं।


कितना अंतर है उस व्यक्ति में जो बेटियों के जन्म की सूचना सुन कर लोगों में मुँह छुपाए फिरता है और उस व्यक्ति में जो अपने कंधे पर नत्नी को उठाए हुए लोगों के पास आता है।

يا من تُحب محمدًا وتريده
لك شافعًا يوم الخلائقِ تحشرُ
صلِّ عليه وآلِه فلربما
تحظى بسُقيا من يديه وتظفرُ

 

अर्थात:ए वह व्यक्ति जो मोह़म्मद से प्रेम रखता और क़्यामत के दिन मह़शर के मैदान में आपकी सफारिश से लाभान्वित होना चाहता है।आप पर दरूद व सलाम भेजो,सुभव है कि तुझे आप पवित्र हाथ से कोसर के जल पीने का सौभाग्यप्राप्त हो जाए,और तू सफल हो जाए।


صلى الله عليه وسلم.

 

 





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