• الصفحة الرئيسيةخريطة الموقعRSS
  • الصفحة الرئيسية
  • سجل الزوار
  • وثيقة الموقع
  • اتصل بنا
English Alukah شبكة الألوكة شبكة إسلامية وفكرية وثقافية شاملة تحت إشراف الدكتور سعد بن عبد الله الحميد
الدكتور سعد بن عبد الله الحميد  إشراف  الدكتور خالد بن عبد الرحمن الجريسي
  • الصفحة الرئيسية
  • موقع آفاق الشريعة
  • موقع ثقافة ومعرفة
  • موقع مجتمع وإصلاح
  • موقع حضارة الكلمة
  • موقع الاستشارات
  • موقع المسلمون في العالم
  • موقع المواقع الشخصية
  • موقع مكتبة الألوكة
  • موقع المكتبة الناطقة
  • موقع الإصدارات والمسابقات
  • موقع المترجمات
 كل الأقسام | مقالات شرعية   دراسات شرعية   نوازل وشبهات   منبر الجمعة   روافد   من ثمرات المواقع  
اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة
  •  
    حسن الظن بالله تعالى (خطبة)
    د. عبد الرقيب الراشدي
  •  
    خطبة: صلاة الاستسقاء
    الشيخ الدكتور صالح بن مقبل العصيمي ...
  •  
    هل الكلب طاهر أم نجس؟ دراسة فقهية موجزة
    د. أحمد عبدالمجيد مكي
  •  
    البصيرة في زمان الفتن - منهجية رد المتشابهات، ...
    د. هيثم بن عبدالمنعم بن الغريب صقر
  •  
    من نعم الابتلاء بالمرض (خطبة)
    د. صغير بن محمد الصغير
  •  
    إن للموت لسكرات (خطبة)
    د. فهد بن ابراهيم الجمعة
  •  
    خلاف العلماء في حكم لبن الميتة وإنفحتها
    يحيى بن إبراهيم الشيخي
  •  
    خلاف الفقهاء في حكم الاستنجاء
    يحيى بن إبراهيم الشيخي
  •  
    من أدلة صدقه عليه الصلاة والسلام: توازن شخصيته ...
    الشيخ عبدالله محمد الطوالة
  •  
    وقاحة التبرير (خطبة)
    حسان أحمد العماري
  •  
    وقفات تربوية مع سورة الإخلاص (خطبة)
    رمضان صالح العجرمي
  •  
    خطب الاستسقاء (15) أسباب الغيث المبارك
    الشيخ د. إبراهيم بن محمد الحقيل
  •  
    سنة الحياة..
    أ. سميع الله بن مير أفضل خان
  •  
    دلالة السياق في تنوع الحركات في البنية نفسها في ...
    د. صباح علي السليمان
  •  
    تأملات في بعض الآيات (1) بنات العم والعمات، ...
    حكم بن عادل زمو النويري العقيلي
  •  
    عذاب القبر حق
    صلاح عامر قمصان
شبكة الألوكة / آفاق الشريعة / منبر الجمعة / الخطب / خطب بلغات أجنبية
علامة باركود

صفة الصلاة (1) أخطاء محرمة (باللغة الهندية)

صفة الصلاة (1) أخطاء محرمة (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

مقالات متعلقة

تاريخ الإضافة: 26/12/2022 ميلادي - 3/6/1444 هجري

الزيارات: 4012

 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
النص الكامل  تكبير الخط الحجم الأصلي تصغير الخط
شارك وانشر

नमाज़ का तरीका(1)

ऐसी गलतियां जो ह़राम (अवैध) हैं


प्रशंसाओं के पश्‍चात:

मैं आप को औ स्‍वयं को अल्‍लाह का तक़्वा (धर्मनिष्‍ठा) अपनाने की वसीयत करता हूं,क्योंकि क़ब्र के प्रेम के लिए यह सर्वोत्‍तम उपहार है और क़्यामत के दिन के लिए श्रेष्‍ठतर उपहार है,हे अल्‍लाह हमे क्षमा प्रदान कर,हम से आलसा एवं आराज़ को दूर करदे और हम पर कृपा कर कि हम परामर्श प्राप्‍त करें और तेरी ओर ध्‍यान मग्‍न हो जाएं:

﴿ اقْتَرَبَ لِلنَّاسِ حِسَابُهُمْ وَهُمْ فِي غَفْلَةٍ مُعْرِضُونَ ﴾ [الأنبياء: 1]

अर्थात:समीप आ गया है लोगों के हिसाब का यसम,जब कि वे अचेतना में मुँह फेरे हुये हैं।


हमारे नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने हमें यह सूचना दी है कि क़्यामत के दिन बंदा से सबसे पहले नमाज़ का हिसाब लिया जाएगा,यदि वह स्‍वीकार हो गई तो अन्‍य समस्‍त आ़माल स्‍वीकार हो जाएंगे,और यदि वह निरस्‍तहो गई तो वह हानि में होगा,नमाज़ का महत्‍व हम से छुपी नहीं,वह इस्‍लाम धर्म का स्‍तंभ है,इस विषय में क़ुर्रान एवं ह़दीस में अनेक प्रमाण आए हैं।


हमारे नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम नमाज़ को हमेशा स्‍थापित करते थे,आप से यह चीज़ सह़ाबा ने अपनाई,यहां तक कि उन्‍होंने आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम की नमाज़ का अत्‍यंत बारीक विवरण प्रस्‍तुत किया है,यहां तक कि उन्‍हों ने आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम के शरीर,आप की उंगलियों की हरकत और सिर्री ( जिस नमाज़ में इमाम सस्‍वर पाठ उूंचे स्‍वर में नहीं करता बल्कि मन ही मन में करता है,वे ज़ोहर एवं अ़सर की नमाज़े हैं) नमाज़ों में सस्‍वर पाठ के समय आप की दाढ़ी के हिलने का विवरण भी बयान किया,क्यों न हो जब कि आप का फरमान है: जिस प्रकार से तुम ने मुझे नमाज़ पढ़ते देखा है उसी प्रकार से नमाज़ पढ़ो ।जैसा कि सह़ी बोखारी में आया है।केवल नमाज़ स्‍थापित करलेना नहीं है,बल्कि नमाज़ स्‍थापित करने का आदेश दिया गया है,उसका तरीका यह है कि नमाज़ को उसके शर्तों,स्‍तंभों,वाजिबों और सुन्‍नतों के साथ स्‍थापित किया जाए,मुसलमान को चाहिए कि नमाज़ की समझ एवं ज्ञान प्राप्‍त करे,ताकि उसे नमाज़ स्‍थापित करने की तौफीक़ मिले और वह नमाज़ के अपार पुण्‍य एवं असीम सदग्‍णुों से लाभान्वित हो।अलहमदोलिल्‍लाह ज्ञान प्राप्ति के अनेक स्‍त्रोत हैं,उन में से कुछ पढ़ने के लिए हैं,तो कुछ देखने के लिए और कुछ सुनने के लिए,कुछ विस्‍तृत हैं तो कुछ संक्षेप में।


ईमानी भा‍इयो मैं आप के समक्ष कुछ ऐसी ग‍लतियों का उल्‍लेख कर रहा हूं जिन का करना ह़राम (अवैध) है,उसके बावजूद उन्‍हें हम दोहराया करते हैं,जिस कारण से नमाज़ का पुण्‍य कम हो जाता और कभी कभी नमाज़ ही निरस्‍तहो जाती है,नमाजि़यों के पुण्‍य भिन्‍न होते हैं,वह इस प्रकार कि जो अपनी नमाज़ में जितना आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम का अनुगमन करता है,और जितने दिल लगा के विनम्रता के साथ नमाज़ स्‍थापित करता है,उसी के अनुसार पुण्‍य से भी लाभान्वित होता है,अ़म्‍मार बिन यासिर की ह़दीस में आया है: बंदा नमाज़ तो स्‍थापित करता है किन्‍तु उसको उसका दसवां भाग मिलता है,नौवां भाग,आठवां भाग,सातवां भाग,छटा,पांचवां,चौथा,तीसरा और आधा भाग ।इसे अल्‍बानी ने सह़ी कहा है।


प्रिय सज्‍जनो नमाज़ में की जाने वाली गलतियों में से यह भी है कि:इमाम से पहले मोक़तदी (इमाम के पीछे नमाज़ स्‍थापित करने वाला) को गतिविधि करे,बोखारी ने मरफूअन रिवायत किया है: क्या तुम में से कोई जब इमाम से पहले सर उठाता है तो उसे डरना चाहिए कि कहीं अल्‍लाह तआ़ला उसका सर गधा के सर जैसा न बना दे अथवा उसका चेहरा गधे के चेहरे जैसा न बना दे ।इस ह़दीस में बलपूर्वक इस बात से रोका गया है कि इमाम से पहले मोक़तदी मनाज़ की कोई गतिविधि करे।कुछ नमाज़ी इमाम के एक सलाम फेरते ही छूटी हुई नमाज़ को स्‍थापित करने के लिए खड़ा हो जाते हैं,जबकि यह वर्जित है,अनस बिन मालिक रज़ीअल्‍लाहु अंहु से वर्णित है,वह फरमाते हैं: एक दिन अल्‍लाह के रसूल सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने हमारी नमाज़ पढ़ाई और नमाज़ की समाप्ति के पश्‍चात हमारी ओर मुंह किया और फरमाया: लोगो मैं तुम्‍हारा इमाम हूं,तुम मुझ से पलने न बढ़ो न रुकू में,न सजदा में,न क़्याम में और न सलाम में इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।


एक गलती यह भी है कि कुछ नमाज़ी कहते हैं: बल्कि धर्मशास्‍त्रोंका इस विषय में मतभेद है कि उसकी नमाज़ होगी भी अथवा नहीं,इस लिए मुसलमा को चाहिए कि इसका ध्‍यान रखे और नमाज़ में सतर्कता से काम ले।


एक गलती यह भी है कि:नाक को छोड़ कर केवल ललाटपर सजदा किया जाए,विद्धानों के बीच ऐसी नमाज़ के सह़ी होने में मतभेद है,कुछ लोग कभी कभी सजदे में पैर उठा कर पिंडलीखुजालाने लगते हैं और उसी में सजदा समाप्‍त हो जाता है और अनका पैर उठा ही रहता है,इसी प्रकार से सात अंगों पर उनका सजदा पूरा नहीं होता


एक गलती यह है कि:एक स्‍तंभ से दूसरे स्‍तंभ में जाने के लिए उूंची स्‍वर में तकबीरे इंतेक़ाल (दूसरी ओर जाने वाली तक‍बीर) पढ़ी पाए,जिस से अन्‍य लोगों को परेशानीहोती है,इसी प्रकार से नमाज़ के बीच स्‍मरणों एवं आयतों को उूंचे स्‍वर में पढ़ा जाए,इससे भी उनझनहोती है और अन्‍य को कठिनाई होती है और कष्‍ट पहुंचाना ह़राम है जैसा कि ज्ञात है,यह उस व्‍यक्ति पर भी लागू होता है जो मस्जिद में उूंचे स्‍वर में क़ुर्रान पढ़े,देखा गया है कि कुछ नमाज़ी सफ (पंक्ति) के किनारे में जा कर नमाज़ स्‍थापित करते हैं ताकि उूंचे स्‍वर में सस्‍वर पाठ करने वाले की व्याकुलतासे बच सकें,इब्‍ने बाज़ से निम्‍न प्रश्‍न पूछा गया:जूमा के समय मस्जिद में उूंचे स्‍वर में क़ुर्रान का सस्‍वर पाठ जाइज़ (वैध) है


शैख ने उत्‍तर दिया: मुसलमान के लिये यह जाएज़ नहीं कि मस्जिद अथवा अन्‍य स्‍थान पर उच्‍च स्‍वर में सस्‍वर पाठ करे यदि उसकी आवाज से उसके आस-पास नमाज़ पढ़ने वालों अथवा सस्‍वर पाठ करने वालों को परेशानीहोती हो,बल्कि सुन्‍नत यह है कि इस प्रकार से सस्‍वर पाठ करे कि अन्‍य को कष्‍ट न हो,क्यों कि नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम से सिद्ध है कि आप एक दिन लोगों के पास मस्ज्दि में आए और वे उच्‍च स्‍वर में सस्‍वर पाठ कर रहे थे,तो आप ने फरमाया: ऐ लोगो तुम सब अल्‍लाह से कानाफूसी कर रहे हो इस लिए तुम एक दूसरे से बढ़ कर उच्‍च स्‍वर में सस्‍वर पाठ न करो ।अथावा फरमाया: तुम में से कोई दूसरे पर अपनी आवाज उच्‍च न करे ।आप रहि़महुल्‍लाह का कथन समाप्‍त हुआ।अत: फर्ज़ नमाज़ के पश्‍चात उच्‍च स्‍वर में स्‍मरण पढ़ना सुन्‍नत है।


हे अल्‍लाह हमें इस्‍लाम धर्म का ज्ञान एवं समझ प्रदान कर,हमें तफसीर (क़ुर्रान की व्‍यख्‍या का ज्ञान) का ज्ञान प्रदान कर,हमें हमारे माता-पिता और समस्‍त जीवित एवं मृत्‍यु मुसलमानों को क्षमा प्रदान कर हे क्षमाशील हे कृपालु

 

द्वतीय उपदेश:

الحمد...

प्रशंसाओं के पश्‍चात:नमाजि़यों की ऐसी गलतियां जिनका करना ह़राम है:सबसे गंभीर गलती यह है कि नमाज़ में,रुकू के समय,रुकू से उठते हुए,सजदे मे और सजदे में एतेदाल करते हुए जलदी करे और धैर्य से काम ले,वह ह़दी जिस में आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने गलत ढ़ंग से नमाज़ स्‍थापित करने वाले को (नमाज़ का तरीका सिखाया) उस में है कि: जा कर फिर से नमाज़ पढ़ो क्यों कि तुम ने नमाज़ नहीं पढ़ी ।जैसा कि सह़ी बोखारी एवं मस्लिम में आया है।


एक सेसी गलती जिस के विषय में कुछ विद्धानों ने कहा कि उस से नमाज़ निरस्‍तहो जाती है,वह यह कि:क़्याम में एतना झुकना कि रुकू के जैसा हो जाए,यदि क़्याम में आप का रोमाल गिर जाए और आप को उसकी आवश्‍यकता हो तो आप अपने पैर से उसे उठाएं,अथवा रुकू का अथवा जुलूस (बैठने) का प्रतिक्षा करें।


ऐ नमाजि़यो फर्ज़ नमाज़ में क़्याम करना (खड़े होना) एक स्‍तंभ है,जो व्‍यक्ति बुढ़ापे के कारण क़्याम करने से विवश हो तो उसे चाहिए कि भूमि पर बैठ कर अथवा कुर्सी पर बैठ कर नमाज़ पढ़े।अत: ऐसा व्‍यक्ति जिस को खड़े होने में कठिनाई होती हो,उस के लिए यह फर्ज़ नमाज़ बैठ कर स्‍थापित करना जा‍एज़ (मान्‍य) है,इस बात पर ध्‍यान देना भी अवश्‍य है कि:यदि उसे क़्याम करने की शक्ति न हो तो इस कारण से उसके लिए रुकू एवं सजदा में कुर्सी पर बैठना जाएज़ नहीं।क्यों कि नमाज़ के वाजिबों (अनिवार्यों) के विषय में यह नियम है कि:नमाज़ी जो गतिविधि करने पर सक्षम हो,उसके लिए वह करना वाजिब (अनिवार्य) है।और जिसे करने से व‍ह वि‍वश हो वह उसके लिए वाजिब नहीं रह जाता।नमाजि़यों की एक गलती यह है कि:नमाज़ में अधिक हरकत किया जाए।मा‍ननीयधर्मशास्‍त्रोंकाकहना है कि बार-बार बिना आवश्‍यकता के अधिक हरकत करने से नमाज़ निरस्‍तहो जाती है।


ऐ मेरे मित्रो मैं इस उपदेश का समापन इस चैतावनी के साथ करना चाहता हूं कि नमाज़ के स्‍तंभों के बीच तकबीराते इंतेकाल (दूसरे स्‍तंभ के लिए कही जाने वाली तकबीरों) में वैध तरीका यह है कि दो स्‍तंभों के बीच तकबीर कही जाए,उदाहरण स्‍वरूप जब रुकू अथवा सजदा करना चाहे तो झुकते समय ही तकबीर का आरंभ करे,यह एक गलती है कि दूसरे स्‍तंभ तक पहुंचने के पश्‍चात तकबीर कहे,क्यों कि यह तकबीर दो स्‍तंभों के बीच की तकबीर है,अल्‍लाह से प्रार्थना है कि हमें नमाज़ स्‍थापित करने की तौफीक प्रदान करे,हे अल्‍लाह हमें हमारे ज्ञान से लाभ पहुंचा....।

 





 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
شارك وانشر

مقالات ذات صلة

  • صفة الصلاة (1) أخطاء محرمة
  • صفة الصلاة (1) أخطاء محرمة (باللغة الأردية)
  • خطبة: صفة الصلاة (1) أخطاء محرمة (باللغة النيبالية)
  • خطبة: صفة الصلاة (2) سنن قولية (باللغة النيبالية)
  • خطبة: صفة الصلاة (2) سنن قولية (باللغة الإندونيسية)

مختارات من الشبكة

  • صفة الصلاة(مقالة - آفاق الشريعة)
  • حالات صفة صلاة الوتر على المذهب الحنبلي(مقالة - آفاق الشريعة)
  • صفة البصر(مقالة - آفاق الشريعة)
  • صفة السمع(مقالة - آفاق الشريعة)
  • صفة الرزق والقوة والمتانة(مقالة - آفاق الشريعة)
  • صفة العلم الإلهي(مقالة - آفاق الشريعة)
  • صفة الحكمة(مقالة - آفاق الشريعة)
  • صفة الإحاطة(مقالة - آفاق الشريعة)
  • صفة الغسل من الجنابة(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الإيثار صفة الكرام(مقالة - آفاق الشريعة)

 



أضف تعليقك:
الاسم  
البريد الإلكتروني (لن يتم عرضه للزوار)
الدولة
عنوان التعليق
نص التعليق

رجاء، اكتب كلمة : تعليق في المربع التالي

مرحباً بالضيف
الألوكة تقترب منك أكثر!
سجل الآن في شبكة الألوكة للتمتع بخدمات مميزة.
*

*

نسيت كلمة المرور؟
 
تعرّف أكثر على مزايا العضوية وتذكر أن جميع خدماتنا المميزة مجانية! سجل الآن.
شارك معنا
في نشر مشاركتك
في نشر الألوكة
سجل بريدك
  • بنر
  • بنر
كُتَّاب الألوكة
  • ندوة لأئمة زينيتسا تبحث أثر الذكاء الاصطناعي في تطوير رسالة الإمام
  • المؤتمر السنوي التاسع للصحة النفسية للمسلمين في أستراليا
  • علماء ومفكرون في مدينة بيهاتش يناقشون مناهج تفسير القرآن الكريم
  • آلاف المسلمين يجتمعون في أستراليا ضمن فعاليات مؤتمر المنتدى الإسلامي
  • بعد ثلاث سنوات من الجهد قرية أوري تعلن افتتاح مسجدها الجديد
  • إعادة افتتاح مسجد مقاطعة بلطاسي بعد ترميمه وتطويره
  • في قلب بيلاروسيا.. مسجد خشبي من القرن التاسع عشر لا يزال عامرا بالمصلين
  • النسخة السادسة من مسابقة تلاوة القرآن الكريم للطلاب في قازان

  • بنر
  • بنر

تابعونا على
 
حقوق النشر محفوظة © 1447هـ / 2025م لموقع الألوكة
آخر تحديث للشبكة بتاريخ : 22/5/1447هـ - الساعة: 15:40
أضف محرك بحث الألوكة إلى متصفح الويب