• الصفحة الرئيسيةخريطة الموقعRSS
  • الصفحة الرئيسية
  • سجل الزوار
  • وثيقة الموقع
  • اتصل بنا
English Alukah شبكة الألوكة شبكة إسلامية وفكرية وثقافية شاملة تحت إشراف الدكتور سعد بن عبد الله الحميد
الدكتور سعد بن عبد الله الحميد  إشراف  الدكتور خالد بن عبد الرحمن الجريسي
  • الصفحة الرئيسية
  • موقع آفاق الشريعة
  • موقع ثقافة ومعرفة
  • موقع مجتمع وإصلاح
  • موقع حضارة الكلمة
  • موقع الاستشارات
  • موقع المسلمون في العالم
  • موقع المواقع الشخصية
  • موقع مكتبة الألوكة
  • موقع المكتبة الناطقة
  • موقع الإصدارات والمسابقات
  • موقع المترجمات
 كل الأقسام | مقالات شرعية   دراسات شرعية   نوازل وشبهات   منبر الجمعة   روافد   من ثمرات المواقع  
اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة
  •  
    منزلة أولياء الله (خطبة)
    الشيخ إسماعيل بن عبدالرحمن الرسيني
  •  
    صفة العلم الإلهي
    الشيخ عبدالعزيز السلمان
  •  
    ماذا قدموا لخدمة الدين؟ وماذا قدمنا نحن؟ (خطبة)
    أبو سلمان راجح الحنق
  •  
    فقه مرويات ضرب الزوجة في السنة النبوية
    د. عبدالعزيز بن سعد الدغيثر
  •  
    الشرط السابع من شروط الصلاة: ستر العورة
    يوسف بن عبدالعزيز بن عبدالرحمن السيف
  •  
    من أدلة صدقه عليه الصلاة والسلام: عظمة أخلاقه
    الشيخ عبدالله محمد الطوالة
  •  
    الشائعات والغيبة والنميمة (خطبة)
    د. أيمن منصور أيوب علي بيفاري
  •  
    إجارة المنافع بالمنافع
    عبدالرحمن بن يوسف اللحيدان
  •  
    من مائدة التفسير: سورة الفيل
    عبدالرحمن عبدالله الشريف
  •  
    كن بلسما (خطبة)
    سامي بن عيضه المالكي
  •  
    خطبة: أهمية مراقبة الله في حياة الشباب
    عدنان بن سلمان الدريويش
  •  
    أخلاق البائع المسلم (خطبة)
    عبدالله بن عبده نعمان العواضي
  •  
    منهج القرآن الكريم في تنمية التفكير العلمي: كيف ...
    محمد نواف الضعيفي
  •  
    أيام أبي بكر الصديق رضي الله عنه (خطبة)
    ساير بن هليل المسباح
  •  
    الله لطيف بعباده
    محمد بن عبدالله العبدلي
  •  
    خطبة (إنكم تشركون)
    الدكتور علي بن عبدالعزيز الشبل
شبكة الألوكة / آفاق الشريعة / منبر الجمعة / الخطب / الرقائق والأخلاق والآداب
علامة باركود

من عمل صالحا فلنفسه (باللغة الهندية)

من عمل صالحا فلنفسه (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

مقالات متعلقة

تاريخ الإضافة: 10/8/2022 ميلادي - 13/1/1444 هجري

الزيارات: 8265

 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
النص الكامل  تكبير الخط الحجم الأصلي تصغير الخط
شارك وانشر

जो पुण्‍य के कार्य करता है वह अपने ही लिए करता है


प्रशंसाओं के पश्‍चात:

मैं आप को और स्‍वयं को अल्‍लाह का तक्‍़वा (धर्मनिष्‍ठा) अपनाने की वसीयत करता हूँ क्‍योंकि नाजि़ल होने वाली सबसे अंतिम आयत लोगों को अल्‍लाह से मोलाकात की याद दिलाता है:

﴿ وَاتَّقُواْ يَوْماً تُرْجَعُونَ فِيهِ إِلَى اللهِ ثُمَّ تُوَفَّى كُلُّ نَفْسٍ مَّا كَسَبَتْ وَهُمْ لاَ يُظْلَمُونَ ﴾ [البقرة: 281]

अर्थात:तथा उस दिन से डरो जिस में तुम अल्‍लाह की ओर फेरे जाओगे,फिर प्रत्‍येक प्राणी को उस की कमाई का भरपूर प्रतिकार दिया जायेगा,तथा किसी पर अत्‍याचार न होगा।


ऐ रह़मान के बंदो इमाम तिरमिज़ी ने मोमिनों की माता आ़यशा रज़ीअल्‍लाहु अंहा से रिवायत किया है कि सह़ाबा ने एक बकरी ज़ब्‍ह़ की,नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने पूछा:उसमें कुछ बचा है मैं ने कहा:दस्‍ती के सिवा और कुछ नहीं बचा,आप ने फरमाया:दस्‍ती के सिवा सब बचा है।


अ़ल्‍लामा अल्‍बानी ने इस ह़दीस को सह़ी कहा है।


अल्‍लाहु अकबर,मानो हमारे नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम सदक़ा (दान) के सद्ग्‍ूण एवं महत्‍व की ओर ध्‍यान आकर्षित कराना चाहते थे,क्‍योंकि सदका (दान) व खैरात ऐसा अ़मल है जो आखिरत (परलोक) तक जारी रहता है,और उसका पुण्‍य आपके लिए बाकी रहता है।


﴿ مَا عِنْدَكُمْ يَنْفَدُ وَمَا عِنْدَ اللَّهِ بَاقٍ ﴾ [النحل: 96]

अर्थात:जो तुम्‍हारे पास है वह व्‍यय (ख़र्च) हो जायेगा और जो अल्‍लाह के पास है वह शेष रह जाने वाला है।


आप दुनिया में जिसे खा जाते हैं वह खराब हो कर नष्‍ट हो जाता है।


ऐ रह़मान के बंदो पवित्र एवं सत्‍य हस्‍ती की पुस्‍तक में सोच-विचार करने वाला बार-बार इस अनस्‍मारक को महसूस करता है कि आप की प्रार्थना आप को ही लाभ पहुंचाती है,तथा आप का अवगा भी आप के लिए ही हानिकारक होता है।अल्‍लाह का फरमान है:

﴿ مَا عِنْدَكُمْ يَنْفَدُ وَمَا عِنْدَ اللَّهِ بَاقٍ ﴾ [النحل: 96]

अर्थात: जो तुम्‍हारे पास है वह व्‍यय (ख़र्च) हो जायेगा और जो अल्‍लाह के पास है वह शेष रह जाने वाला है।


त‍था अल्‍लाह ने फरमाया:

﴿ قَدْ جَاءكُم بَصَائِرُ مِن رَّبِّكُمْ فَمَنْ أَبْصَرَ فَلِنَفْسِهِ وَمَنْ عَمِيَ فَعَلَيْهَا ﴾ [الأنعام: 104]

अर्थात:तुम्‍हारे पास निशानियाँ आ चुकी हैं,तो जिस ने समझ बूझ से काम लिया उस का लाभ उसी के लिए है और जो अन्‍धा हो गया तो उस की हानि उसी पर है।


एक और स्‍थान पर अल्‍लाह का फरमान है:

﴿ إِنَّا أَنزَلْنَا عَلَيْكَ الْكِتَابَ لِلنَّاسِ بِالْحَقِّ فَمَنِ اهْتَدَى فَلِنَفْسِهِ وَمَن ضَلَّ فَإِنَّمَا يَضِلُّ عَلَيْهَا ﴾ [الزمر: 41]

अर्थात: वास्‍तव में हम ने ही अवतरित की है आप पर यह पुस्‍तक लोगों के लिए सत्‍य के साथ,तो जिस ने मार्गदर्शन प्राप्‍त कर लिया तो उस के अपने (लाभ के) है तथा जो कुपथ हो गया तो वह कुपथ होता है अपने उूपर।


अल्‍लाह अधिक फरमाता है:

﴿ مَنْ عَمِلَ صَالِحاً فَلِنَفْسِهِ وَمَنْ أَسَاء فَعَلَيْهَا وَمَا رَبُّكَ بِظَلَّامٍ لِّلْعَبِيدِ ﴾[فصلت: 46]

अर्थात: जो सदाचार करेगा तो वह अपने ही लाभ के लिये करेगा और जो दुराचार करेगा तो उस का दुष्‍परिणाम उसी पर होगा,और आप का पालनहार तनिक भी अत्‍याचार करने वाला नहीं है भक्‍तों पर।


अल्‍लाह का अधिक फरमान है:

﴿ وَمَن تَزَكَّى فَإِنَّمَا يَتَزَكَّى لِنَفْسِهِ وَإِلَى اللَّهِ الْمَصِيرُ ﴾ [فاطر: 18]

अर्थात: तथा जो पवित्र हुआ तो वह पवित्र होगा अपने ही लाभ के लिये और अल्‍लाह ही की ओर (सब को) जाना है।


अल्‍लाह तआ़ला का फरमान है:

﴿ وَمَن شَكَرَ فَإِنَّمَا يَشْكُرُ لِنَفْسِهِ ﴾ [النمل: 40]

अर्थात: और जो कृतज्ञ होता है वह अपने लाभ के लिए होता है।


﴿ وَمَن جَاهَدَ فَإِنَّمَا يُجَاهِدُ لِنَفْسِهِ إِنَّ اللَّهَ لَغَنِيٌّ عَنِ الْعَالَمِينَ ﴾ [العنكبوت: 6]

अर्थात:और जो प्रयास करता है तो वह प्रयास करता है अपने ही भले के लिये,निश्‍चय अल्‍लाह निस्‍पृह है संसार वासियों से।


अत: वह हस्‍ती पवित्र है जो (सबको खिलाता है उसे कोई नहीं खिलाता),हे मेरे रब तैरी हस्‍ती पवित्र है,तू धनवान एवं प्रचुरहै और हम फक़ीर व दरिद्रहैं,तू शक्तिशाली है हम दर्बल हैं,तू क्षमाशील और कृपा करने वाला है और हम पापी और अनाड़ीहैं।


ह़दीसे क़ुदसी में आया है: यदि तुम्‍हारे अगले और पिछले,मनुष्‍य एव जिन्‍नात सब ऐसे हो जाएं जैसे तुम्‍हारा बड़ा आज्ञाकारीव्‍यक्ति है तो मेरे साम्राज्‍य में कुछ भी वृद्धि न होगी और यदि तुम्‍हारे अगले एवं पिछले,मनुष्‍य एवं जिन्‍न सब ऐसे हो जाएं जैसे तुम्‍हारा बड़ा पापी व्‍यक्ति है तो मेरे साम्राज्‍य में कुछ कमी न होगी।(इस ह़दीस को इमाम मुस्लिम ने रिवायत किया है)


ऐ रह़मान के बंदो इस वा‍स्‍तविकता को मह़सूस करना मेरे और आप के लिए अति आवश्‍यक है जिसे अल्‍लाह तआ़ला ने बार-बार दुहराया है कि पुण्‍य के कार्य से बंदा ही लाभान्वित होता है,वास्‍तव में इस वास्‍तविकता का ज्ञान,मोमिन बंदा को इस बात के लिए तैयार करता है कि वह हिदायत के प्रति अपनी आवश्‍यकता एवं उसके कारणों की खोज के प्रति अपनी आवश्‍यक्‍ता को महसूस करे,यह भाव व चेतना मोमिन के साहस को पुण्‍य के कार्य के लिए प्रोत्‍साहित करता है।


और जब यह बात हृदय में रहे गी कि आप ही लाभान्वित होने वाले हैं तो यह चीज़ आप के अंदर आज्ञाकारिता एवं बंदगी के आनंद को उतपन्‍न करती है,बल्कि मोमिन बंदा अपने उूपर अल्‍लाह के कृपा एवं दया को याद करता है जब उसे अल्‍लाह की सहायत मिलती और उसके लिए पुण्‍य के द्वार आसान हो जाते हैं।


ह़सन बसरी से कहा गया कि आप आत्‍मा को कितना थकाते हैं,उन्‍हों ने कहा:मैं आत्‍मा को शांति पहुंचाना चाहता हूं।


अल्‍लाहु अकबर यह कितने महान परामर्श हैं:

﴿ فَمَنْ أَبْصَرَ فَلِنَفْسِهِ ﴾ [الأنعام: 104]

अर्थात: तो जिस ने समझ बूझ से काम लिया उस का लाभ उसी के लिये है।


﴿ فَمَنِ اهْتَدَى فَلِنَفْسِهِ ﴾ [الزمر: 41]

अर्थात: तो जिस ने मार्गदर्शन प्राप्‍त कर लिया तो उस के अपने (लाभ के) लिए है।


﴿ مَنْ عَمِلَ صَالِحاً فَلِنَفْسِهِ ﴾ [فصلت: 46]

अर्थात: जो सदाचार करेगा तो वह अपने ही लाभ के लिये करेगा।


﴿ وَمَن تَزَكَّى فَإِنَّمَا يَتَزَكَّى لِنَفْسِهِ ﴾ [فاطر: 18]

अर्थात:तथा जो प‍वित्र हुआ तो वह पवित्र होगा अपने ही लाभ के लिये।


﴿ وَمَن جَاهَدَ فَإِنَّمَا يُجَاهِدُ لِنَفْسِهِ ﴾ [العنكبوت: 6]

अर्थात:और जो प्रयास करता है तो वह प्रयास करता है अपने ही भले के लिये।


अल्‍लाह मुझे और आप को पवित्र क़ुर्रान एवं ह़दीस में मौजूद चिन्‍ह एवं नीति से लाभ पहुंचाए,अल्‍लाह से तौबा व इस्तिगफार कीजिए नि:संदेह वह अति अधिक क्षमाशील है।


द्वतीय उपदेश:

الحمد لله القائل: ﴿ إِنْ أَحْسَنتُمْ أَحْسَنتُمْ لِأَنفُسِكُمْ ﴾، وصلى الله وسلم على نبيه المصطفى وعلى آله وصحبه ومن لدربهم اقتفى.


प्रशंसाओं के पश्‍चात

ऐ रह़मान के बंदो वा‍सतविक प्रार्थनाएं(जैसे नमाज़ रोज़ा) का महत्‍व हम से छुपा नहीं,किन्‍तु शायद उन प्रार्थनाओं की अनस्‍मारक की हमें अधिक आवश्‍यकता है,जिन का संबंध मखलूक़ से है,और जिन प्रा‍र्थनाओं की ऐसे सदगूण आए हैं जो उनकी रूची दिलाती हैं साथ ही बंदा उनके द्वारा पुण्‍य भी पाता है।


ऐ अल्‍लाह के बंदो।यदि आप के परिजन में से कोई आप से संबंध तोड़ले तो आप उससे संबंध जोड़े,क्‍योंकि संबंध जोड़ना आपके जीविका एवं आयु में वृद्धि का कारण है,और संबंध जोड़ने के विषय में अल्‍लाह यह फरमान ही आप के लिये प्रयाप्‍त है कि: हां क्‍या तुम इससे प्रसन्‍न नहीं कि मैं उसे जोड़ुंगा जो तुम से अपने आप को जोड़े ।विश्‍वास करें आप ही पहले लाभान्वि‍त होने वाले हैं


यदि आप ने किसी दरिद्रमुसलमान की कमी को छुपाया तो सबसे पहले आप को ही लाभ पहुंचेगा: जिसने किसी मुसलमान का ऐब छुपाया अल्‍लाह दुनिया एवं परलोक में उसका ऐब छुपाएगा ।


यदि आप किसी फक़ीर को सदक़ा (दान) देते हैं तो उसका लाभ उससे अधिक आप को पहुंचता है:

﴿ وَمَا تُنفِقُواْ مِنْ خَيْرٍ فَلأنفُسِكُمْ ﴾ [البقرة: 272].

अर्थात:तथा तुम जो भी दान देते हो तो अपने लाभ के लिए हो।


क्‍योंकि यदि उसे सांसारिक लाभ प्राप्‍त होता है तो आप को सांसारिक एवं उखरवी दोनों लाभ प्राप्‍त होता है


यदि आप रास्‍ते से कोई लोहा,अथवा शीशा अथवा ऐसी चीज़ हटा देते हैं जो लोगों की हानि पहुंचाने वाली है,तो सबसे पहले आप उस से लाभान्वित होने वाले होते हैं क्‍या नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने हमें ऐसे व्‍यक्ति के विषय में सूचना नहीं दी है जो रास्‍ते से कांटा हटाने के कारण स्‍वर्ग में प्रवेश हुआ


जब आप अपने भाई के लिए पीठ पीछे दुआ़ करते हैं तो पहले आप लाभान्वित होते हैं कोई मसलमान ऐसा नहीं है जो अपने भाई के लिए पीठ पीछे उसके लिए दुआ़ करे मगर देवदूत कहता है और तुझे भी यही मिलेगा ।(इस ह़दीस को इमाम मुस्लिम ने रिवायत किया है)।


जब आप अपने उूपर अत्‍याचार करने वाले को क्षमा करदेते हैं तो आप का पुण्‍य अल्‍लाह के उूपर होता है,और दयालु एवं दानशील के प्रदान के विषय में आप का क्‍या कहना है


अत: दुनिया में आप हृदय की शांति से लाभान्वित होते हैं,और आखिरत (परलोक) में आप के लिए बड़ा बदला है,यदि आप अपने भाई की किसी आवश्‍यकता (को पूरा करने का) प्रयास करते हैं,तो आप पहले लाभान्वित होने वाले होते हैं, जो व्‍यक्ति अपने भाई की आवश्‍यकता पूरी करता है,अल्‍लाह तआ़ला उसकी आवश्‍यकता पूरी करेगा ।(इस ह़दीस को इमाम बोखारी ने रिवायत किया है)।


जो दरिद्रव्‍यक्ति के साथ धैर्य( आसानी एवं क्षमा) का व्‍यवहार करता है अथवा उसका कुछ क़र्ज़ माफ करदेता है,तो सबसे पहले उसका लाभ उठाने वाला वह स्‍वयं होता है: जो व्‍यक्ति किसी मजबूर (क़र्ज़दार) को समय देदे अथवा उसका कुछ क़र्ज़ माफ करदे तो अल्‍लाह उसे क्‍़यामत के दिन अपने अ़र्श (सिंहासन) के साए के नीचे स्‍थान देगा ।(इस ह़दीस को इमाम मुस्लिम ने रिवायत किया है)


यदि कोई आप के साथ दुर्व्‍यवहारकरता है और आप उसके साथ सुंदर व्‍यवहार करते हैं तो आप बड़े भाग्‍यशालीहैं।


यदि आप किसी मुसलमान की कठिनाई एवं समस्‍या को दूर कर देते हैं तो आप पहले लाभान्वित होते हैं: जिस ने किसी मोमिन से दुनिया की कठिनाइयों में से कोई कठिनाई दूर की अल्‍लाह उसकी आखिरत की कठिनाइयों में से कोई कठिनाई दूर करेगा (इस ह़दीस को इमाम मस्लिम ने रिवायत किया है)।


दरूद व सलाम पढ़ें.....

 





 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
شارك وانشر

مقالات ذات صلة

  • من عمل صالحا فلنفسه (خطبة)
  • من عمل صالحا فلنفسه (باللغة الأردية)
  • الله الرفيق (خطبة) (باللغة الهندية)
  • فاذكروا آلاء الله لعلكم تفلحون (خطبة) (باللغة الهندية)
  • الله الكريم الأكرم (خطبة) (باللغة الهندية)
  • خطبة: (تجري بهم أعمالهم) (باللغة الهندية)
  • عداوة الشيطان في القرآن (خطبة) (باللغة الهندية)
  • الاعتراف يهدم الاقتراف (باللغة الهندية)
  • {من عمل صالحا فلنفسه ومن أساء فعليها} (خطبة)

مختارات من الشبكة

  • من محاسن الدين الإسلامي وجود بدائل لكل عمل صالح (4)(مقالة - موقع د. أمين بن عبدالله الشقاوي)
  • من محاسن الدين الإسلامي وجود بدائل لكل عمل صالح (3)(مقالة - موقع د. أمين بن عبدالله الشقاوي)
  • من محاسن الدين الإسلامي وجود بدائل لكل عمل صالح (2)(مقالة - موقع د. أمين بن عبدالله الشقاوي)
  • من محاسن الدين الإسلامي وجود بدائل لكل عمل صالح (1)(مقالة - موقع د. أمين بن عبدالله الشقاوي)
  • قصة مقاطعة الإمام أحمد بن حنبل لولديه صالح وعبد الله وعمه بسبب قبولهم لصلة السلطان (PDF)(كتاب - مكتبة الألوكة)
  • أعمال يسيرة وراءها قلب سليم ونية صالحة(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الأولاد بين فتنة الدنيا وحفظ الله(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الدعوة إلى العمل الصالح (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • فقه العمل الصالح (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • اترك أثرا صالحا (العمل اللازم والعمل المتعدي)(مقالة - آفاق الشريعة)

 



أضف تعليقك:
الاسم  
البريد الإلكتروني (لن يتم عرضه للزوار)
الدولة
عنوان التعليق
نص التعليق

رجاء، اكتب كلمة : تعليق في المربع التالي

مرحباً بالضيف
الألوكة تقترب منك أكثر!
سجل الآن في شبكة الألوكة للتمتع بخدمات مميزة.
*

*

نسيت كلمة المرور؟
 
تعرّف أكثر على مزايا العضوية وتذكر أن جميع خدماتنا المميزة مجانية! سجل الآن.
شارك معنا
في نشر مشاركتك
في نشر الألوكة
سجل بريدك
  • بنر
  • بنر
كُتَّاب الألوكة
  • برنامج علمي مكثف يناقش تطوير المدارس الإسلامية في بلغاريا
  • للسنة الخامسة على التوالي برنامج تعليمي نسائي يعزز الإيمان والتعلم في سراييفو
  • ندوة إسلامية للشباب تبرز القيم النبوية التربوية في مدينة زغرب
  • برنامج شبابي في توزلا يجمع بين الإيمان والمعرفة والتطوير الذاتي
  • ندوة نسائية وأخرى طلابية في القرم تناقشان التربية والقيم الإسلامية
  • مركز إسلامي وتعليمي جديد في مدينة فولجسكي الروسية
  • ختام دورة قرآنية ناجحة في توزلا بمشاركة واسعة من الطلاب المسلمين
  • يوم مفتوح للمسجد للتعرف على الإسلام غرب ماريلاند

  • بنر
  • بنر

تابعونا على
 
حقوق النشر محفوظة © 1447هـ / 2025م لموقع الألوكة
آخر تحديث للشبكة بتاريخ : 11/5/1447هـ - الساعة: 17:35
أضف محرك بحث الألوكة إلى متصفح الويب