• الصفحة الرئيسيةخريطة الموقعRSS
  • الصفحة الرئيسية
  • سجل الزوار
  • وثيقة الموقع
  • اتصل بنا
English Alukah شبكة الألوكة شبكة إسلامية وفكرية وثقافية شاملة تحت إشراف الدكتور سعد بن عبد الله الحميد
الدكتور سعد بن عبد الله الحميد  إشراف  الدكتور خالد بن عبد الرحمن الجريسي
  • الصفحة الرئيسية
  • موقع آفاق الشريعة
  • موقع ثقافة ومعرفة
  • موقع مجتمع وإصلاح
  • موقع حضارة الكلمة
  • موقع الاستشارات
  • موقع المسلمون في العالم
  • موقع المواقع الشخصية
  • موقع مكتبة الألوكة
  • موقع المكتبة الناطقة
  • موقع الإصدارات والمسابقات
  • موقع المترجمات
 كل الأقسام | مقالات شرعية   دراسات شرعية   نوازل وشبهات   منبر الجمعة   روافد   من ثمرات المواقع  
اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة
  •  
    الإلحاد جفاف معنوي.. وإفلاس روحي
    نايف عبوش
  •  
    الاحتكار
    محمد علي عباد حميسان
  •  
    البهائم تلعن عصاة بني آدم
    د. عبدالله بن يوسف الأحمد
  •  
    رسول الرحمة والإنسانية (خطبة)
    د. عبد الرقيب الراشدي
  •  
    زاد الداعية (10): التوحيد أولا وقبل كل شيء
    صلاح صبري الشرقاوي
  •  
    أوقات النهي عن الصلاة (درس 1)
    د. أمين بن عبدالله الشقاوي
  •  
    ذلكم وصاكم به (خطبة)
    الشيخ عبدالله محمد الطوالة
  •  
    المحبة تاج الإيمان (خطبة)
    الشيخ إسماعيل بن عبدالرحمن الرسيني
  •  
    تفسير قوله تعالى: {قل يا أهل الكتاب لم تكفرون ...
    الشيخ أ. د. سليمان بن إبراهيم اللاحم
  •  
    سلسلة شرح الأربعين النووية: الحديث (31) «ازهد في ...
    عبدالعزيز محمد مبارك أوتكوميت
  •  
    التحقيق في كون سورة الكوثر مكية لا مدنية
    د. محمد بن علي بن جميل المطري
  •  
    فضل ذكر الله بعد صلاة الفجر حتى تطلع الشمس
    د. خالد بن محمود بن عبدالعزيز الجهني
  •  
    الأمر بإكرامه صلى الله عليه وسلم وتوقيره وإعزازه
    فواز بن علي بن عباس السليماني
  •  
    ما ورد من استغفار الأنبياء عليهم السلام في القرآن ...
    د. أحمد خضر حسنين الحسن
  •  
    مفهوم اليسر
    أ. د. فالح بن محمد الصغير
  •  
    حسن الظن بالله تعالى (خطبة)
    الشيخ محمد بن إبراهيم السبر
شبكة الألوكة / آفاق الشريعة / منبر الجمعة / الخطب / الرقائق والأخلاق والآداب
علامة باركود

خطبة: يحب لأخيه ما يحب لنفسه (باللغة الهندية)

خطبة: يحب لأخيه ما يحب لنفسه (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

مقالات متعلقة

تاريخ الإضافة: 30/3/2022 ميلادي - 27/8/1443 هجري

الزيارات: 5939

 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
النص الكامل  تكبير الخط الحجم الأصلي تصغير الخط
شارك وانشر

शीर्षक:

अपने भाई के लिए वही पसंद करे जो अपने लिए पसंद करता है


अनुवादक: फैजुर रह़मान हि़फजुर रह़मान तैमी.


प्रथम उपदेश:

إن الحمد لله، نحمده ونستعينه ونستغفره، ونعوذ بالله من شرور أنفسنا ومن سيئات أعمالنا، مَن يهده الله فلا مضل له، ومن يضلل فلا هادي له، وأشهد أن لا إله إلا الله وحده لا شريك له، وأشهد أن محمدًا عبده ورسوله: ﴿ يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ حَقَّ تُقَاتِهِ وَلَا تَمُوتُنَّ إِلَّا وَأَنْتُمْ مُسْلِمُونَ ﴾ [آل عمران: 102]، ﴿ يَا أَيُّهَا النَّاسُ اتَّقُوا رَبَّكُمُ الَّذِي خَلَقَكُمْ مِنْ نَفْسٍ وَاحِدَةٍ وَخَلَقَ مِنْهَا زَوْجَهَا وَبَثَّ مِنْهُمَا رِجَالًا كَثِيرًا وَنِسَاءً وَاتَّقُوا اللَّهَ الَّذِي تَسَاءَلُونَ بِهِ وَالْأَرْحَامَ إِنَّ اللَّهَ كَانَ عَلَيْكُمْ رَقِيبًا ﴾ [النساء: 1]، ﴿ يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ وَقُولُوا قَوْلًا سَدِيدًا * يُصْلِحْ لَكُمْ أَعْمَالَكُمْ وَيَغْفِرْ لَكُمْ ذُنُوبَكُمْ وَمَنْ يُطِعِ اللَّهَ وَرَسُولَهُ فَقَدْ فَازَ فَوْزًا عَظِيمًا ﴾ [الأحزاب: 70، 71].


प्रशंसाओं के पश्‍चात:

र्स्‍वश्रेष्‍ठ कलाम अल्‍लाह की पुस्तक और र्स्‍वोत्‍तम मार्ग मोह़म्‍मद का मार्ग है,दुष्‍टतम चीजधर्म मेंअविष्‍कृत नवाचार हैं और प्रत्‍येक नवाचार गुमराही है.


रह़मान के बंदोएक प्रार्थना जिसका संबंध हृदय से है,जो पवित्र हृदयों को आबाद रखती है,समस्‍त कठिनाइयों को दूर करती है,प्रेम एवं स्‍नेह को बढ़ावा देती है,प्रसन्‍नता प्रदान करती है और उसके बिना बंदा का ईमान पूरा नहीं होता,अनस बिन मालिक रज़ीअल्‍लाहु अंहु से वर्णित है कि नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने फरमाया:तुम में से कोई व्‍यक्ति मोमिन नहीं हो सकता यहां तक कि अपने भाई के लिये यही चीज पसंद करे जो अपने लिए पसंद करता हैबोखारी व मुस्लिम.


اللہ اکبرआप के इस कथन पर विचार करें:अपने भाई के लिये पसंद करेयह प्रेम व स्‍नेह का तकाज़ा करता है,यहूाँ ईमान के खंडन का आशय ईमान की संपूर्णता का खंडन है,न कि मूलवास्‍तविक्‍ता का खंडन,जैसे इस ह़दीस में है:जब खाना उपलब्‍ध हो तो नमाज़ नहीं होती.


अल्‍लाह के बंदेआप का अपने भाई के लिए वही पसंद करना जो आप अपने लिये पसंद करते हैं,इसके दो श्रेणी हैं.


प्रथम श्रेणी:जो अनिवार्य है,इस का संबंध दीनी मामलों से है,दूसरी ह़दीस में आया है:क़सम है उस हस्‍ती की जिस के हाथ में मोह़म्‍मद का प्राण हैतुम में से कोई व्‍यक्ति उस समय तक मोमिन नहीं हो सकता जब तक कि वह अपनेमुस्लिमभाई के लिए वही चीज न पसंद करे जो अपने लिए पसंद करता हैइसे अह़मद और निसाई ने रिवायत किया है और अल्‍बानी ने सह़ी कहा हैअत: हर मुसलमान पर अनिवार्य है कि अपने मु‍सलमान भाई के लिए आज्ञाकारिता के अनुपालन और ह़राम चीजों से दूरी को पसंद करे,इसकी पहचान यह है कि:शुभचिंतन के साथ परामर्श करे,ईर्ष्‍या व डाह न करे,खेर व भलाई को परचलित करे और इसके लिए दुआ़ करे.


द्वतीय श्रेणी:जो मुस्‍तह़बजिस कार्य के करने से पुण्‍य हो और न करने से पाप न होहै,उसका संबंध सांसारिक मामलों से है,क्‍योंकि सांसारिक मामलों मेंअपने उूपरदूसरों को प्राथमिकता देना मुस्‍तह़ब है,उदाहरण स्‍वरूप उसकी रोज़ी का विस्‍तार हो और वह अपने भाई के लिए भी यही पसंद करे.


कुछ विद्वानों ने बिना विवरण के सामान्‍य रूप से इसको अनिवार्य माना है,इस कथन के आलोक में समस्‍त मुसलमानों के लिये दीनी व दुनयावी मामलों में सामान्‍य रूप से खैर व भलाई चाहना अनिवार्य है.


चर्चे का उद्देश्‍य यह है कि ईमान की विशेषताओं में से एक यह है कि अपने मोमिन भाई के लिये भी वही चीज पसंद करे जो स्‍वयं के लिए पसंद करता है,उसके लिए भी वही चीज नापसंद करे जो अपने लिए नापसंद करता है,जो कि इस ह़दीस से ज्ञात होता है:मुसलमानों का एक दूसरे से प्रेम,एक दूसरे के साथ दयालुता और एक दूसरे की ओर ध्‍यान व सहायता का उदाहरण एक शरीर के जैसा है,जब उसके एक अंग को कष्‍ट होती है तो बाकी सारा शरीर जाग करके और बोखार के माध्‍यम सेअंगों को एक दूरसे के साथ मिला करउसका साथ देता हैमुस्लिम.


अत: मुसलमान को अच्‍छा नहीं लगता है जो उसके भाई को अच्‍छा नहीं लगता है और उसके भाई को जिस .चीज से दुख होता है,उसे भी उससे दुख होता है.


मेरे प्‍यारोआप के समक्ष इसके कुछ उज्‍जवल उदाहरण प्रस्‍तुत किये जा रहे हैं:इब्‍ने अ़ब्‍बास रज़ीअल्‍लाहु अंहुमा का वर्णन है:मैं अल्‍लाह की पुस्‍तक की एक आयत पढ़ता हूं तो चाहता हूं कि इसकी जो व्‍याख्‍या मैं जानता हूं,उससे सारे लोग अवगत हो जाएं.


मोह़म्‍मद बिन वासे एक गदहा बेचाने के लिए लाये,एक व्‍यक्ति ने उनसे कहा:क्‍या आप मेरे लिए इसे पसंद करते हैंउन्‍हों ने कहा:यदि वह मुझे पसंद होता तो मैं उसे नहीं बेचता.


दूसरो के प्रति खेर व भलाई की चाहत रखने के विषय में इस इमाम से अति अ‍द्भुत सूचना प्राप्‍त हुई है,उन्‍हों ने अपने पुत्र से कहा:तेरे पिता के जैसा मुसलमानों में अल्‍लाह तआ़ला अधिक लोग न पैदा करे,क्‍योंकि वह चाहता है कि लोग उससे अच्‍छे हों और अपने लिए यह पसंद करता है कि उसकी स्थिति वर्तमान स्थिति से अच्‍छा हो जाए.


यह समस्‍त विशेषताएं उस समय पैदा होती हैं जब हृदय ईर्ष्‍या से सुरक्षित और स्‍वरस्‍थ हो.


अल्‍लाह के बंदोयह अनिवार्य है कि लोगो के साथ वैसा ही व्‍यव‍हार किया जाए जो आप अपने लिए पसंद करते हैं,ह़दीस में आया है:जो व्‍यक्ति नरक से मुक्ति प्राप्‍त करना चाहता हो और स्‍वर्ग में प्रवेश का सौभाग्‍य चाहता हो,उसे चाहिए कि उसका निधन इस अवस्‍था में आए कि वह अल्‍लाह और आखिर‍त के दिन पर ईमान लाता हो,और लोगों के साथ वैसा ही व्‍यवहार करता हो जो अपने लिए पसंद करता हैमुस्लिम.

 

ह़दीस में इसका अल्‍लाह और आखिरत के दिन पर ईमान लाने,नरक से मुक्ति प्राप्‍त करने और स्‍वर्ग में प्रवेश होने के सौभाग्‍य के साथ उल्‍लेख किया गया है,जिससे ज्ञात होता है कि दूसरों के साथ वैसा ही व्‍यवहार करना अनिवार्य है जिस प्रकार आप अपने सा‍थ किया जाना पसंद करते हैं.


अह़नफ बिन क़ैस से पूछा गया:आप ने धैर्य एवं सहनशीलता कहाँ से सीखीतो उन्‍हों ने क‍हा:अपने आप से,जब दूसरे का कोई प्रतिक्रिया अथवा व्‍यवहार मुझे नापसंद होता तो मैं भी किसी के साथ उस प्रकारका व्‍यव‍हारनहीं करता.


अल्‍लाह तआ़ला मुझे और आप को क़ुरान व सुन्‍नत की बरकत से धन्‍य फरमाए,उनमें जो आयत और हि़कमत की बात आई है,उससे हमें लाभ पहुंचाए,आप अल्‍लाह से क्षमा प्राप्‍त करें,नि:संदेह वह अति क्षमा प्रदान करने वाला है.


द्वतीय उपदेश:

الحمد لله...

 

प्रसंशाओं के पश्‍चात:

आइए हम अपने व्‍यावहारिक जीवन के कुछ शंकाओं पर वीचार करते हैं,संभव है कि हमारे सामने खैर व भलाई के दरवाजे खुल जाएंजब आप किसी स्‍थान पर अपनी कार चला कर रहे होते हैं और भीड़ भाड़ वाले सड़क पर जाना चाह रहे होते हैं तो क्‍या आप को उस व्‍यक्ति से खुशी नहीं होती जो ठहर कर आपकोरास्‍ता देता है ताकि आप गुजर सकें.


नि:संदेह आपका उत्‍तर होगा:हां,आप भी दूसरों के साथ ऐसा ही करें.


जब आप किसी मोड़ पर खड़े हो कर गाड़ी के गुजरने का प्रतिक्षा कर रहे होते हैं,कि़तु वह बिना कोई इशारा दिये हुए दाएं बांएं मुड़ जाता हैतो क्‍या आप को बुरा नहीं लगता.


इस लिए आप मुड़ने से पहले इशारा दे‍ दिया करें और दुसरों को बेकार के प्रतिक्षा न करवाएं,जब आप कोई गाड़ी अथवा युक्ति व यंत्र खरीदना चाहते हैं तो क्‍या आप नहीं चाहते हैं कि वह आप को उसकी गुणों एवं कमियों से अवगत करेआप भी दूसरों के साथ ऐसा ही करें.


जब आप कोई चीज बेचना चाहें तो उतना ही उचित लाभ लें जितना आप खरीदते समय अपने लिए पसंद करते हैं.


जब आप किसी भरी सभा में हों और यदि संभव हो तो आप सभा में स्‍थान बनाने का आरंभ स्‍वयं करें,कुछ प्रसाधनों में यह वाक्‍य लिखा होता है:इस स्‍थान को आप उसी प्रकार छोड़ें जिस प्रकार आप इसे देखना पसंद करते हैं.


जब आप से किसी लड़की को संदेश देने वाले के प्रति पूछा जाए तो आप न्‍याय एवं सत्‍य के साथ उस के प्रति बताएं,जैसे आप चाहते हैं कि आप के पास संदेश आए तो आप को बताया जाए.


घर बनाने के समय प्रशासनिक स्‍ंसथानों से जितना उूंचा भवन बनाने की अनुमती मिली हो,उस से अधिक न बनाएं कि आप के पड़ोसी का आंगन निरावरण हो जाए और उसकी गोपनीयताओं व एकांताओं में आप हस्‍तक्षेप कर बैठें.


नि:संदेह आप चाहेंगे कि लोग आप को क्षमा करदें इस लिए आप भी उन्‍हें क्षमा करदें,नि:संदेह आप पसंद करते हैं कि लोग अनुपस्थिति में आपके लिए दुआ़एं करें,इस लिए आप भी उनके लिए अनुपस्थिति में दुआ़ किया करें.


जिस से गलती हो जाए,उसको छिपाएं,जिस प्रकार आप गलती को छुपाना चा‍हते हैं,नि:संदेह आप नहीं चाहते कि पीठ पीछे आपकी निंदा की जाए,इस लिए अपने भाई की चुगली न करें,आपको यदि मालूम हो कि किसी ने आपके मान-सम्‍मन की रक्षा की है,तो आप उसे पसंद करेंगे,इस लिए आप भी अपने भाई के मान-सम्‍मान की रक्षा करें.


नि:संदेह आप मीठी बोली और उत्‍तम टिप्‍पणी करने वाले,हंसमुख,प्रसन्‍न चेहरा और उत्‍साह के साथ सलाम करने वाले को पसंद करते हैं,इस लिए आप भी इन गुणों के साथ दूसरों से व्‍यवहार करें.


इसमें कोई संदेह नहीं कि आप मरूस्‍थल स्‍थानों को पवित्र एवं साफ देखना पसंद करते हैं,इसी प्रकार बगीचों और सार्वजनिक स्‍थानों को भी आप साफ देखना चाहते हैं,इस लिए आप भी उसे अपनी आदत में शामिल करें और अपने परिवार एवं हमजोलियों को भी इसकी आदत डालें.


ये कुछ उदाहरण हैं जो आप के समक्ष प्रस्‍तुत किए गए,इसके अतिरिक्‍त भी अनेक उदाहरण हैं,आप इन आदतों को अपना कर ईमान की संपूर्णता से लाभान्वित हों और रह़मान की निकटता प्राप्‍त करें.


अंतिम बात:हम में से हर एक को चाहिए कि इस वाक्‍य के आलोक में अपना निर्णय स्‍वयं करे:उसे चाहिए कि लोगों के साथ वैस ही व्‍यवहार करे जो वह अपने लिए पसंद करता हैउसे चाहिए कि स्‍वेद अपने आप को दूसरे दल के स्‍थान पर रख कर देखे.


आप पर दरूद व सलाम भेजते हरें.


صلى الله عليه وسلم.

 





 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
شارك وانشر

مقالات ذات صلة

  • خطبة: يحب لأخيه ما يحب لنفسه
  • الله الرفيق (خطبة) (باللغة الهندية)
  • إن الله يحب التوابين (خطبة) (باللغة الهندية)
  • فاذكروا آلاء الله لعلكم تفلحون (خطبة) (باللغة الهندية)
  • خطبة: يحب لأخيه ما يحب لنفسه - باللغة النيبالية
  • خطبة: يحب لأخيه ما يحب لنفسه (باللغة البنغالية)

مختارات من الشبكة

  • لنصلح أنفسنا ولندع التلاوم (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • في نهاية عامكم حاسبوا أنفسكم (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • هضم النفس في ذات الله (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • خطبة: {وأنيبوا إلى ربكم} (باللغة البنغالية)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • من مشكاة النبوة (5) "يا أم خالد هذا سنا" (خطبة) - باللغة النيبالية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • من دروس خطبة الوداع: أخوة الإسلام بين توجيه النبوة وتفريط الأمة (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • رسول الرحمة والإنسانية (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • ذلكم وصاكم به (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • المحبة تاج الإيمان (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • حسن الظن بالله تعالى (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)

 



أضف تعليقك:
الاسم  
البريد الإلكتروني (لن يتم عرضه للزوار)
الدولة
عنوان التعليق
نص التعليق

رجاء، اكتب كلمة : تعليق في المربع التالي

مرحباً بالضيف
الألوكة تقترب منك أكثر!
سجل الآن في شبكة الألوكة للتمتع بخدمات مميزة.
*

*

نسيت كلمة المرور؟
 
تعرّف أكثر على مزايا العضوية وتذكر أن جميع خدماتنا المميزة مجانية! سجل الآن.
شارك معنا
في نشر مشاركتك
في نشر الألوكة
سجل بريدك
  • بنر
  • بنر
كُتَّاب الألوكة
  • مسابقة الأحاديث النبوية تجمع أطفال دورات القرآن في بازارجيك
  • أعمال شاملة لإعادة ترميم مسجد الدفتردار ونافورته التاريخية بجزيرة كوس اليونانية
  • مدينة نابريجناي تشلني تحتفل بافتتاح مسجد "إزجي آي" بعد تسع سنوات من البناء
  • انتهاء فعاليات المسابقة الوطنية للقرآن الكريم في دورتها الـ17 بالبوسنة
  • مركز ديني وتعليمي جديد بقرية كوياشلي بمدينة قازان
  • اختتام فعاليات المسابقة الثامنة عشرة للمعارف الإسلامية بمدينة شومن البلغارية
  • غوريكا تستعد لإنشاء أول مسجد ومدرسة إسلامية
  • برنامج للتطوير المهني لمعلمي المدارس الإسلامية في البوسنة والهرسك

  • بنر
  • بنر

تابعونا على
 
حقوق النشر محفوظة © 1447هـ / 2025م لموقع الألوكة
آخر تحديث للشبكة بتاريخ : 23/3/1447هـ - الساعة: 2:4
أضف محرك بحث الألوكة إلى متصفح الويب