• الصفحة الرئيسيةخريطة الموقعRSS
  • الصفحة الرئيسية
  • سجل الزوار
  • وثيقة الموقع
  • اتصل بنا
English Alukah شبكة الألوكة شبكة إسلامية وفكرية وثقافية شاملة تحت إشراف الدكتور سعد بن عبد الله الحميد
الدكتور سعد بن عبد الله الحميد  إشراف  الدكتور خالد بن عبد الرحمن الجريسي
  • الصفحة الرئيسية
  • موقع آفاق الشريعة
  • موقع ثقافة ومعرفة
  • موقع مجتمع وإصلاح
  • موقع حضارة الكلمة
  • موقع الاستشارات
  • موقع المسلمون في العالم
  • موقع المواقع الشخصية
  • موقع مكتبة الألوكة
  • موقع المكتبة الناطقة
  • موقع الإصدارات والمسابقات
  • موقع المترجمات
شبكة الألوكة / آفاق الشريعة / منبر الجمعة / الخطب / العبادات / الصلاة وما يتعلق بها
علامة باركود

من خصائص يوم الجمعة (خطبة) (باللغة الهندية)

من خصائص يوم الجمعة (خطبة) (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

مقالات متعلقة

تاريخ الإضافة: 3/12/2022 ميلادي - 10/5/1444 هجري

الزيارات: 7330

 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
النص الكامل  تكبير الخط الحجم الأصلي تصغير الخط
شارك وانشر

शीर्षक:

शुक्रवार के दिन की कुछ विशेषताएं


अनुवादक:

फैज़ुर रह़मान ह़िफज़र रह़मान तैमी


प्रथम उपदेश:

ए सज्जनों के समूह अल्लाह ने अपने कुछ जीवों को कुछ पर,अपनी ओर से चयन फरमा कर,और उनको सम्मानित करके,उन्हें श्रेष्ठता एवं प्रधानता प्रदान की है:

﴿ وَرَبُّكَ يَخْلُقُ مَا يَشَاء وَيَخْتَارُ ﴾.


अर्थात:

अत: मनुष्यों में से रसूलों,फरिश्तों में से जिबरील,मीकाईल और इसराफील अलैहिमुस्सलाम को श्रेष्ठता प्रदान की,और दिनों में अल्लाह तआ़ला ने जिन दिनों को प्रधानता प्रदान की वह आज का यह दिन शुक्रवार है,क्योंकि अल्लाह ने इस अपने दया एवं कृपा के लिए तेहवार,अपने मित्रों एवं चयनित बंदों के लिए व्यापार का दिन बनाया,ये लोग अल्लाह की ओर से प्रदान की गई आशीर्वादों एवं कृपाओं से लाभ उठाते हैं,इस महान दिन की कुछ ऐसी विशेषताएंएवं सदगुण हैं जो अन्य दिनों को प्राप्त नहीं,यह एक खुशनुमात्योहार है जो प्रत्येक साद दिन पर आता है,इब्नुलक़य्यिम ने "زاد المعاد" में उल्लेख किया है:शुक्रवार के दिन की तैंतीस (33) विशेषताएं हैं,हम इस दिन की कुछ विशेषताओं का उल्लेख करेंगे:

इस दिन की एक विशेषता एवं सदगुण वह भी है जिसे इमाम मुस्लिम ने अपनी सह़ीह़ में ह़ज़रत अबूहोरैरह रज़ीअल्लाहु अंहु से वर्णित किया है कि अल्लाह के रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: (सबसे अच्छा दिन जिसमें सूर्य उदय हुआ,शुक्रवार का दिन है,इसी दिन आदम को पैदा किया गया,इसी दिन उन्हों स्वर्ग में डाला गया,इसी दिन उन्हें स्वर्ग से निकाला गया,और प्रलय भी इसी दिन स्थापित होगी)।


इसकी एक अन्य विशेषता यह है कि शुक्रवार के दिन फजर की नमाज़ में सूरह सजदा एवं सूरह इंसान पढ़ना मशरू है,शैख़ुलइसलाम इब्ने तैमिया रहि़महुल्लाह से नक़ल करते हुए इब्नुल क़य्यिम ने इसकी नीति के विषय में फरमाया कि: शुक्रवार के दिन जो घटित हुआ और इस दिन जो घटेगा उस पर ये दोनों सूरतें आधारित हैं,क्योंकि ये सूरतें आदम के जन्म,प्रलय का स्मरण और बंदों के प्रलय में इकट्ठा होने को बतलाती हैं,जो कि शुक्रवार के दिन घटित होगा,अत: इस दिन इन दोनों सूरतों के ससवर पाठ में उम्मत के लिए (शुक्रवार के दिन) जो हुआ और जो होने वाला है उसको याद दिलाता है ।समाप्त


इस याददिहानी का लाभ यह है कि आत्मा अ़मल एवं आज्ञाकारिता के लिए तैयार होता और शक्ति प्राप्त करता है।


शुक्रवार के दिन इस धरती पर जीवन एवं संसार का अंत होगा,और प्रलय स्थापित होगा,जैसाकि अभी हमारे सामने से सह़ी ह़दीस गुजरी है और प्रलय भी इसी दिन स्थापित होगा ।


अल्लाह तआ़ला ने हमसे पूर्व के लोगों को शुक्रवार को पहचानने की तौफीक़ प्रदान नहीं की।(अत:) यहूदियों के लिए शनिवार का दिन और ईसाइयों के लिए रविवार का दिन निश्चिय हो गया,वे लोग (सप्तहिक प्रार्थना में) प्रलय तक हम से पीछे रहेंगे।हम संसार वालों में अंतिम (उम्मत) हैं और प्रलय के दिन हम प्रथम होंगे जिनका सर्वप्रथम निर्णय होगा एक और रिवायत में है जिनके मध्य समस्त जीवों से पूर्व निर्णय होगा और इस ह़दीस को इमाम बोख़ारी ने तक़रीबन इन्हीं शब्दों के साथ वर्णन किया है।


शुक्रवार के दिन की एक विशेषता यह है कि शुक्रवार के दिन अथवा इसकी रात में सूरह कहफ का ससवर पाठ करना मशरू है,अत: अबू सई़द ख़ुदरी से मरफूअ़न वर्णित है: जो शुक्रवार की रात में सूरह कहफ का ससवर पाठ करेगा उसके लिए उसके मध्य एवं बैत-ए-अ़तीक़ के मध्य का वातावरण आलोकित हो जाएगा इस ह़दीस को इमाम दारमी ने वर्णन किया है और अ़ल्लामा अल्बानी ने सह़ीह़ कहा है।


इमाम बैहक़ी और इमाम ह़ाकिम की मरफूअ़न रिवायत है: जो व्यक्ति शुक्रवार के दिन सूरह कहफ का ससवर पाठ करेगा,दो शुक्रवार के मध्य उसके लिए आलोक ही आलोक होगी ।अ़ल्लाहमा अल्बानी ने इसे सह़ीह़ कहा है।


शुक्रवार की एक विशेषता यह भी है कि शुक्रवार के दिन और उसकी रात में रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम पर अधिक दरूद व सलाम भेजना चाहिए,अत: सोनने इबी दाउूद और इब्ने माजा में मरफूअ़न ह़दीस आई है जिसे अ़ल्लामी अल्बानी ने सह़ीह़ कहा है तुम्हारे सबसे अच्छे दिनों में से शुक्रवार का दिन है,इसी दिन आदम पैदा किए गए,इसी दिन उनकी आत्मा निकाली गई,इसी दिन सूर फूंका जाएगा,इसी दिन चीख़ होगी,इस लिए तुम लोग इस दिन मुझ पर अधिक से अधिक दरूद व सलाम भेजा करो,क्योंकि तुम्हारा दरूद मुझ पर प्रस्तुत किया जाता है ।एक व्यक्ति ने कहा:अल्लाह के रसूल हमारा दरूद आप पर कैसे प्रस्तुत किया जाएगा जबकि आप क़ब्र में बोसीदा हो चुके होंगे आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: अल्लाह तआ़ला ने धरती के लिये पैगंबरों के शरीर को खाना ह़राम कर दिया है ।


इमाम बैहक़ी ने अनस बिन मालिक रज़ीअल्लाहु अंहु से वर्णन किया है कि अल्लाह के रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: शुक्रवार के दिन और उसकी रात में मेरे उूपर अधिक से अधिक दरूद भेजा करो ।


इब्नुल क़य्यिम ने इस ह़दीस की नीति बयान करते हुए फरमाया:रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम मनुष्यों के सरदार हैं,और शुक्रवार का दिन समस्त दिनों का सरदार है,इस लिए इस दिन आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दरूद व सलाम भेजने की जो विशेषता है वह किसी अन्य दिन को प्राप्त नहीं,इसके अतिरिक्त इसकी दूसरी नीति भी है और वह यह कि समस्त प्रकार की भलाई जो इस उम्मत को दुनिया एवं आखि़रत में प्राप्त है वह आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के द्वारा ही प्राप्त है,अत: अल्लाह ने आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्मत के लिए संसार एवं आखि़रत के ख़ैर को इकट्ठा कर दिया है,और सबसे विशाल भलाई जो मोह़म्मद सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्मत को प्राप्त होगी वह शुक्रवार के दिन होगी,क्योंकि अल्लाह तआ़ला इसी दिन इस उम्मत को इसके मनाजिल एवं स्वर्ग के महलों तक पहुंचाइगा,और जब वह उस दिन स्वर्ग में प्रवेश करेंगे तो वह दिन उनके लिए یوم المزید (उपकारों की वृद्धि का दिन) होगा और संसार में उनके लिए यह दिन ई़द का दिन है,वह ऐसा दिन होगा जिस दिन अल्लाह उनकी इच्छाओं एवं आवश्यकताओं की पूर्ति करेगा,और फरयाद करने वालों को वंचित नहीं करेग,ये समस्त चीज़ें जिन का उन्हें ज्ञान हुआ और जिनसे वे लाभान्वित हुए वह उन्हें रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के कारण और आपके द्वारा प्राप्त हुए,आपका आभार,आपकी प्रशंसा और आपके थोड़े अधिकार की पूर्ति का तक़ाज़ा है कि हम इस दिन और इसकी रात में आप पर अधिक से अधिक दरूद भेजें।(उनकी बात समाप्त हुई)


अल्लाह तआ़ला मुझे और आपको क़ुरान व सुन्नत से लाभ पहुंचाए,उनमें जो आयतें और नितियों की बातें हैं,उन्हें हमारे लिए लाभदायक बनाए,आप अल्लाह से क्षमा मांगें,नि:संदेह वह अति क्षमाशील है।


द्वतीय उपदेश:

الحمد لله حمدا كثيرا طيبا مباركا فيه، وصلى الله وسلم على رسوله الأمين وعلى آله وصحبه أجمعين.


प्रशंसाओं के पश्चात:

आदरणीय सज्जनो इस दिन की एक विशेषता यह है कि इस दिन में एक ऐसा समय भी होता है जिस में दुआ़ स्वीकार होती है,अत: सह़ीह़ैन (बोख़ारी एवं मुस्लिम) में ह़ज़रत अबूहोरैरह रज़ीअल्लाहु अंहु से वर्णित है,अल्लाह के रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने शुक्रवार के दिन का जि़क्र फरमाया: इसमें एक एैसी घड़ी है कि यदि ठीक उस समय मुस्लिम बंदा ख़ड़ा हो कर नमाज़ पढ़े और अल्लाह तआ़ला से कोई चीज़ मांगे तो अल्लाह तआ़ला उसको वह चीज़ अवश्य प्रदान करता है ।और आपने अपने हाथ से इशारा करके बताया कि वह समय थोड़ी देर के लिए आता है।


शुक्रवार के दिन दुआ़ की स्वीकृति के समय के सीमित होने के प्रति विद्धानों के विभिन्न कथन हैं,उनमें दो में अधिक बल है,प्रथम कथन:वह समय शुक्रवार की दूसरी अज़ान और नमाज़ की समाप्ति के बीच होता है,इस कथन के कहने वालों ने ह़ज़रत अबूमूसा अशअ़री रज़ीअल्लाहु अंहु की वर्णित ह़दीस से यह बात कही है वह फरमाते हैं:मैं ने रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम से शुक्रवार के उस सयम के विषय में बयान करते हुए सुना: यह इमाम के बैठने से ले कर नमाज़ पूरी होने तक की बीच है ।इस ह़दीस को इमाम मुस्लिम ने वर्णित किया है।अ़ल्लामा ओ़सैमीन ने इसी विचार को अपनाया है,कोई पूछ सकता है कि ख़तीब (के मिंबर) पर बैठने के समय कब दुआ़ करे,आप उसके उत्तर में फरमाते हैं कि वह दो उपदेशों के बीच गोपनीय रूप से संसार एवं आखि़रत की जो चाहे दुआ़ करे,इसी प्रकार से शुक्रवार की नमाज़ में सजदों की दुआ़एं पढ़ने के पश्चात सजदा में जो चाहे दुआ़ करे,इसी प्रकार से तशह्हुद में तशह्हुद की दुआ़ के पश्चात जो चाहे दुआ़ करे ।समाप्त


द्वतीय कथन:वह समय अ़सर के पश्चात से सूर्यास्त तक के मध्य होता है।


इस कथन के कहने वालों ने जाबिर बिन अ़ब्दुल्लाह रज़ीअल्लाहु अंहु की ह़दीस से लाभ उठाया है वह कहते हैं:रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:शुक्रवार का दिन बारह समयों (घड़ियों) पर सम्मीलित है,इसकी एक घड़ी ऐसी है कि उसमें जो भी मुसलमान बंदा अल्लाह तआ़ला से कुछ मांगते हुए पाया जाता है,तो उसे वह देता है,तो तुम उसे अंतिम घड़ी में अ़सर के पश्चात खोजो।


इस ह़दीस को इमाम अबूदाउूद और इमाम निसाई ने वर्णित किया है,और इमाम नौवी और अ़ल्लामा अल्बानी ने इसे सह़ीह़ कहा है।


और दूसरे प्रमाणों से भी इन लोगों ने लाभ उठाया है,और यही राय सह़ाबा में ह़ज़रत अबूहोरैरह और अ़ब्दुल्लाह बिन सलाम रज़ीअल्लाहु अंहुमा की भी है,इमाम अह़मद,इमाम इब्नुलक़य्यिम और अन्य लोगों ने इसी राय को अपनाया है,शैख़ अ़ब्दुलअ़ज़ीज़ बिन बाज़ रह़िमहुल्लाहु फरमाते हैं कि ह़ज़रत जाबिर बिन अ़ब्दुल्लाह रज़ीअल्लाहु अंहु की ह़दीस में आया है कि वह घड़ी अ़सर की नमाज़ और सूर्यास्त के मध्य होती है,जबकि कुछ ह़दीसों में आया है कि वह घड़ी शुक्रवार के दिन की अंतिम घड़ी है,समस्त ह़दीसें सह़ीह़ हैं,एक ह़दीस दूसरी ह़दीस के विरुद्ध नहीं है,अत: सबसे उपयुक्त और निकटतम घड़ी वह है जो मिंबर पर बैठने और नमाज़ की समाप्ति के मध्य होती है,और अ़सर की नमाज़ के पश्चात से सूर्यास्त तक के मध्य होती है,ये घड़ियां दुआ़ की स्वीकृति के लिए अधिक उपयुक्त हैं।(उनका कथन समाप्त हुआ)।


सई़द बिन जोबैर अ़सर की नमाज़ पढ़ लेते तो उस समय तक किसी से बात-चीत नहीं करते थे जब तक कि सूर्यास्त न हो जाता,अत: मुसलमान के लिए उचित है कि वह इन दो घड़ियों में अपने लिए,अपने माता-पिता,अपने परिवार,और मुसलमानों के लिए दुनिया एवं आखि़रत की अच्छाई के लिए दुआ़ करे,चाहे यह दुआ़ मस्जिद में हो अथवा घर में,गाड़ी में हो अथवा अन्य स्थानों में।


صلى الله عليه وسلم.






 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
شارك وانشر

مقالات ذات صلة

  • من خصائص يوم الجمعة
  • من خصائص يوم الجمعة (باللغة الأردية)
  • يوم الجمعة (خطبة)

مختارات من الشبكة

  • من فضل الله على العباد، هدايتهم، للفوز يوم المعاد (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الأرض شاهدة فماذا ستقول عنك يوم القيامة؟! (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • يوم الحسرة (خطبة)(مقالة - موقع الشيخ إبراهيم بن محمد الحقيل)
  • خطبة: بداية العام الهجري وصيام يوم عاشوراء(مقالة - آفاق الشريعة)
  • خطبة: الشهود يوم القيامة(مقالة - آفاق الشريعة)
  • ابتلاء الأبرص والأقرع والأعمى (خطبة)(مقالة - موقع د. محمود بن أحمد الدوسري)
  • التفاف الرعية بالراعي ونبذ الفرقة والشقاق (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • سنة التدافع وفقهها (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • من تجالس؟ (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • ذكر الموت زاد الحياة (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)

 



أضف تعليقك:
الاسم  
البريد الإلكتروني (لن يتم عرضه للزوار)
الدولة
عنوان التعليق
نص التعليق

رجاء، اكتب كلمة : تعليق في المربع التالي

مرحباً بالضيف
الألوكة تقترب منك أكثر!
سجل الآن في شبكة الألوكة للتمتع بخدمات مميزة.
*

*

نسيت كلمة المرور؟
 
تعرّف أكثر على مزايا العضوية وتذكر أن جميع خدماتنا المميزة مجانية! سجل الآن.
شارك معنا
في نشر مشاركتك
في نشر الألوكة
سجل بريدك
  • بنر
  • بنر
كُتَّاب الألوكة
  • النسخة السادسة من مسابقة تلاوة القرآن الكريم للطلاب في قازان
  • المؤتمر الدولي الخامس لتعزيز القيم الإيمانية والأخلاقية في داغستان
  • برنامج علمي مكثف يناقش تطوير المدارس الإسلامية في بلغاريا
  • للسنة الخامسة على التوالي برنامج تعليمي نسائي يعزز الإيمان والتعلم في سراييفو
  • ندوة إسلامية للشباب تبرز القيم النبوية التربوية في مدينة زغرب
  • برنامج شبابي في توزلا يجمع بين الإيمان والمعرفة والتطوير الذاتي
  • ندوة نسائية وأخرى طلابية في القرم تناقشان التربية والقيم الإسلامية
  • مركز إسلامي وتعليمي جديد في مدينة فولجسكي الروسية

  • بنر
  • بنر

تابعونا على
 
حقوق النشر محفوظة © 1447هـ / 2025م لموقع الألوكة
آخر تحديث للشبكة بتاريخ : 13/5/1447هـ - الساعة: 14:3
أضف محرك بحث الألوكة إلى متصفح الويب