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أتأذن لي أن أعطيه الأشياخ؟! (خطبة) (باللغة الهندية)

أتأذن لي أن أعطيه الأشياخ؟! (خطبة) (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

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تاريخ الإضافة: 12/11/2022 ميلادي - 18/4/1444 هجري

الزيارات: 5267

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शीर्षक:

तुम अनुमति देते हो कि मैं इन बुजुर्गों को ये प्याले देदूँ


अनुवादक:

फैज़ुर रह़मान ह़िफज़र रह़मान तैमी


प्रथम उपदेश:

 

يا خيرَ من دفنتْ بالقاع أعظمهُ
فطاب من طيبهنّ القاع والأكمُ
أنت النبي الذي ترجى شفاعته
عند الصراط إذا ما زلت القدمُ
أنت البشير النذير المستضاء به
وشافع الخلق إذ يغشاهم الندمُ

 

अर्थात:ऐ वह जो इस धरती में दफन होने वाला सर्वोउत्तम एवं सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति है,जिसकी सुगन्धसे चप्पा-चप्पा सुगंधितहो गया,आप ही वह नबी हैं जिन की अनुशंसाकी आशा है,उस समय जब पुल सिरात पर पैर फिसल जाएंगे,तू ही शुभसूचना देने वाला और डराने वाला नबी है जिससे हिदायत का आलोक प्राप्त किया जा सकता है,औ तू ही जीवों के हित में अनुशंसाकरेगा उस समय जब वह लालसाव पश्चातापमें डूबे होंगे।

صلى الله وسلم عليه وعلى آله وأصحابه والتابعين ومن تبعهم بإحسان إلى يوم الدين.


प्रशंसाओं के पश्चात

मैं आप को और स्वयं को अल्लाह का तक़्वा अपनाने,आज्ञा एवं पुण्य के कार्य करने और अल्लाह तआ़ला के अवज्ञा से बचने की वसीयत करता हूं,क्योंकि पाप नरक तक ले जाने वाले मार्ग हैं,अल्लाह मुझे और आप को इससे सुरक्षित रखे,अल्लाह के बंदो आप हमें अ़मल का अवसर मिला है और हिसाब व किताब नहीं,जबकि कल हिसाब व किताब होगा और अ़मल का अवसर नहीं:

﴿ يَوْمَ تَجِدُ كُلُّ نَفْسٍ مَا عَمِلَتْ مِنْ خَيْرٍ مُحْضَرًا وَمَا عَمِلَتْ مِنْ سُوءٍ تَوَدُّ لَوْ أَنَّ بَيْنَهَا وَبَيْنَهُ أَمَدًا بَعِيدًا وَيُحَذِّرُكُمُ اللَّهُ نَفْسَهُ وَاللَّهُ رَءُوفٌ بِالْعِبَادِ ﴾ [آل عمران: 30].

अर्थात:जिस दिन प्रत्येक प्रागी ने जो सुकर्म किया है,उसे उपस्थित पायेगा,तथा जिस ने कुकर्म किया है वह कामना करेगा कि उस के तथा उस के कुकर्मों के बीच बड़ी दूरी होती।


ईमानी भाइयो आपके समक्ष एक ऐसा पैगंबरी घटना प्रस्तुत कर रहा हूं जो है तो मामूली किन्तु इसके अंदर बड़े गहरे अर्थ और महान नैतिकताएवं सदाचारछुपे हैं,अत: सहल बिन सअ़द रज़ीअल्लाहु अंहु से वर्णित है कि:नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के सेवा में एक प्याला प्रस्तुत किया गया और आपने उससे कुछ पिया।आपकी दाएं ओर एक लड़का था जो श्रोतागणमें सबसे छोटा था जबकि आपकी बाएं ओर बुजुर्ग लोग बैठे थे।आपने फरमाया: बरखुरदार तुम अनुमति देते हो कि मैं इन बुजुर्गोंको यह प्याला देदूँ उसने कहा:अल्लाह के रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम यह संभव नहीं कि आपके जुठेपर किसी को प्राथमिकता दूं,अत: आपने वह प्याला उसी को देदिया।(बोख़ारी व मस्लिम)


मेरे प्रिय भाइयो नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस घटने से लाभ निकालने से पहले आप कल्पना कीजिए कि कोई विश्वसनीय व्यक्ति आपको यदि यह सूचना दे कि वह राजा के सभा में उपस्थित हुआ जिस में तीन मंत्रियों एवं एक छोटा बच्चा भी था,राजा ने बच्चे से यह अनुमति मांगी कि वह उससे पहले मुत्रियों को प्याला प्रस्तुत करे तो उस बच्चे ने इंकार रक दिया


आदरणीय सज्जनो नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस घटने से यह पाठ मिलता है कि मानवता की सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वउत्तम हस्ती की सभा प्रत्येक छोटे एवं बड़े के लिए खुली होती थी,बल्कि कभी तो छोटा बच्चा बड़े लोगों से भी अधिक आपसे निकट होता।


इस घटने से एक पाठ यह मिलता है कि:बच्चों के साथ भी विनम्रता का व्यवहार करना चाहिए,वह इस प्रकार से कि उनके साथ बैठा जाए,उनसे बात-चीत की जाए,और यदि उनका कोई अधिकार हो तो उस विषय में उनसे अनुमति मांगी जाए,आप विचार करें कि यहां अनुमति मांगने वाला कौन है आप सबसे श्रेष्ठ मानव हैं और एक छोटे बच्चे से अनुमति मांग रहे हैं हे शिक्षक,हेप्रशिक्षक छोटे बच्चे से उसके अधिकार के प्रति यदि अनुमति मांगें तो इसका कितना उत्तम प्रभाव पड़ेगा चाहे क़लम अथवा कागज़ ही की बात क्यों न हो एक लाभ यह भी मिलता है कि बच्चा जब बड़े से संतुष्ट होता है और किसी अपध्यवस्तु की आशंका नहीं होता तो वह अपनी राय रखने में बेबाकी महसूस करता है,चाहे उसका उत्तर पूछने वाले की इच्छा के विरुद्ध ही क्यों न हो


एक लाभ यह प्राप्त होता है कि इश्वर प्रदत्त क्षमतावाले बच्चों का विशेष ध्यान रखना चाहिए,उस सभा में जो बच्चे आते थे,उनमें इब्ने अ़ब्बास भी हैं जिनको आपने यह दुआ़ दी कि: हे अल्लाह इसे धर्म की समझ एवं तफसीर का ज्ञान प्रदान फरमा (सह़ी इब्ने हि़ब्बान)।बच्चा के नम्रउत्तर से उसकी बौद्धिकता टपक रही है: यह संभव नहीं कि आप के जूठेपर किसी और को प्राथमिकता दूं ।अत: आपने उसे मना भी नहीं किया।

إنّ الهلالَ إذا رأيت نموَه
أيقنت أن سيكون بدرا كاملا

 

अर्थात:जब आप चांद को उदय होता हुआ देखते हैं तो आपको विश्वास हो जाता है कि वह अवश्य ही पूर्णचंद्रबनेगा।


एक लाभ यह भी मिलता है कि: सह़ाबा पवित्र एवं सुद्ध आत्मा वाले थे,अत: किसी न आपत्तिकिया,न आलोचना की और न दोष निकाला।जो व्यक्ति अपने नैतिकताका अवलोकनकरना चाहे उसे चाहिए कि वह विचार करे कि छोटे बच्चे और सेवकों के साथ उसका व्यवहार कैसा है।


अल्लाह तआ़ला मुझे और आपको क़ुरान व सुन्नत से लाभ पहुंचाए,उनमें जो आयतें और नितियों की बातें हैं,उन्हें हमारे लिए लाभदायक बनाए,आप अल्लाह से क्षमा मांगें,नि:संदेह वह अति क्षमाशील है।


द्वतीय उपदेश:

الحمد لله.......اما بعد:

एक लाभ यह मिलता है कि: दूसरों का सम्मान करना पैगंबरी तरीक़ा है,इस घटने में बच्चा का सम्मान स्पष्ट है,अल्लाह की क़सम मनुष्य को इस बात से आश्चर्य होगा कि मुर्दा का सम्मान भी अनिवार्य है,जबकि शव का आत्मा उसके शरीर से जुदा हो चुकी होती है,किन्तु उसका सम्मान हरता ही है,ह़दीस में आया है कि: मुर्दों की हड्डी तोड़ना ऐसा है जैसे जीवित की तोड़ना है (अबूदाउूद और इब्ने ह़िब्बान ने इसे वर्णन किया है और अल्बानी ने इसे सह़ी कहा है) उसे नहलाने के पश्चात एवं दफनाने से पूर्व यह आदेश है कि जनाज़ा गुजरे तो (उसके सम्मान में) खड़े हो जाया करो: जब तुम जनाज़ा देखो तो खड़े हो जाया करो ।(बोख़ारी व मस्लिम)।दफन के पश्चात यह शिक्षा दी गई है जैसा कि सह़ी मुस्लिम में है: तुम में से कोई अंगारे पर (इस प्रकार) बैठे कि वह उसे कपड़े को जला कर उसके चर्म तक पहुंच जाए,उसके लिए इससे अच्छा है कि वह किसी क़ब्र में बैठे ।


इससे एक लाभ यह प्राप्त होता है कि:अधिकार वालों के अधिकारों की रक्षा की जाए,यद्यपि वह कमज़ोर ही क्यों न हों,आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अनस रज़ीअल्लाहु अंहु से इस लिए अनुमति मांगी कि आप का तरीक़ा यह था कि आप अपने दाएं ओर वाले को ही पहले प्रस्तुत किया करते थे,जैसाकि सह़ीह़ैन (बोख़ारी एवं मुस्लिम) में अनस रज़ीअल्लाहु अंहु से वर्णित है,वह फरमाते हैं:रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम हमारे घर में पधारे तो आपने जल मांगा।हमने आपके लिए एक बकरी का दूध निकाला,फिर मैं ने उसमें अपने कुएं का जल मिलाया।उसके पश्चात उसे अपकी सेवा में प्रस्तुत किया जबकि अबू बकर रज़ीअल्लाहु अंहु आपकी बाएं ओर,ह़ज़रत उ़मर फारूक़ रज़ीअल्लाहु अंहु आपके सामने और एक देहाती आपकी दाएं ओर था। जब आपने पी लिया तो ह़ज़रत उ़मर फारूक़ रज़ीअल्लाहु अंहु ने कहा:यह ह़ज़रत अबूबकर रज़ीअल्लाहु अंहु हैं,किन्तु आपने बचा हुआ दूध देहाती को देदिया,फिर फरमाया: दाएं ओर वाले पहले हैं।दाएं ओर वाले पहले हैं।अच्छे से सुन लो दाएं ओर से आरंभ किया करो। ह़ज़रत अनस रज़ीअल्लाहु अंहु ने फरमाया:यह सुन्नत है।यह सुन्नत है तीन बार ऐसा फरमाया।

﴿ لَقَدْ كَانَ لَكُمْ فِي رَسُولِ اللَّهِ أُسْوَةٌ حَسَنَةٌ لِمَنْ كَانَ يَرْجُو اللَّهَ وَالْيَوْمَ الْآخِرَ وَذَكَرَ اللَّهَ كَثِيرًا ﴾ [الأحزاب: 21].

अर्थात:तुम्हारे लिये अल्लाह के रसूल में उत्तम आदर्श है,उस के लिये जो आशा रखता हो अल्लाह और अन्तिम दिन (प्रलय) की,तथा याद करे अल्लाह को अत्यधिक।


आप पर दरूद व सलाम भेजते रहें।

صلى الله عليه وسلم.

 





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