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الله السميع (خطبة) (باللغة الهندية)

الله السميع (خطبة) (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

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تاريخ الإضافة: 15/6/2022 ميلادي - 16/11/1443 هجري

الزيارات: 4858

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अल्‍लाह जो السمیع(अति सुन्‍ने वाला)है


प्रशंसाओं के पश्‍चात:मैं आप को और स्‍वयं को अल्‍लाह का तक्‍़वा(वैराग्‍य)की वसीयत करता हूँ,हम ऐसे समय से गुजर रहे हैं जिस में इसे अपनाना अनिवार्य है,क्‍योंकि हमारा जन्‍म अल्‍लाह तआ़ला की प्रार्थना के लिए हुआ है,हमारा जीवन पलों एवं घिडि़यों का संग्रह है:

﴿ وَاتَّقُواْ اللّهَ إِنَّ اللّهَ سَرِيعُ الْحِسَابِ ﴾ [المائدة: 4]

अर्थात:तथा अल्‍लाह से डरते रहो,नि:संदेह अल्‍लाह शीघ्र हिसाब लेने वाला है।


रह़मान के बंदोबंदगी के अनेक श्रेणी हैं,उनमें सबसे उच्‍च श्रेणी इह़सान का है,जिसका अर्थ है:आप इस प्रकार अल्‍लाह की प्रार्थना करें मानो आप उसे देख रहे हों,यह वह श्रेणी है जिस से रह़मान के प्रसन्‍नता,स्‍वर्ग में उच्च फिरदौद,क़ब्र की नेमत और अल्‍लाह की नाराजगी एवं यातना से मुक्ति मिलती है,इह़सान के र्स्‍वोच्‍च स्‍थान तक पहुंचने में जो चीज़ें सहायक होती हैं,उनमें यह भी है कि हृदय अल्‍लाह के सुंदर नामों के अर्थ एवं मतलब और उनके भाव से भरा हो,हम आज अल्‍लाह के एक ऐसे पवित्र नाम पर चर्चा करेंगे,जिस का इहसास हृदय को अल्‍लाह के प्रेम से भर देता और अधिकतर अल्‍लाह को याद करने के कारण मोंमिन को दोबारा उठाए जाने की याद दिलाता हैहर अच्‍छी बात बोलने और उसका इहसास रखने के कारण उसकी ज़बान चुगली, निंदा, अभिशाप, मजाक उड़ाने,झूट बोलने,गाली गालेज करने और जीभ के अन्‍य पापों से बची रहती हैलोग अपने जीभ के बड़-बड़ ही के कारण तो औंधे मुंह नरक में डाले जाएंगे


आज हम अल्‍लाह के पवित्र नाम السمیع की बात करेंगे,जिस का उल्‍लेख पविद्ध क़ुरान में 45 स्‍थानों पर आया हैख़ौला पुत्री सालबा रज़ीअल्‍लाहु अंहा नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम के सेवा में उपस्थित हुई और अपने पति औस पुत्र अलसामित के प्रति पूछने लगी जो उनके चचेरे भाई थे,और जिन्‍हों ने क्रोध में उनसे कह दिया था:तुम मेरे लिए मेरी माँ की पीठ के जैसे होपूर्व इस्‍लामल युग में ظہار का चलन था।अत: जब उनके पति उनसे संभोग करना चाहा तो वह नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम के पास आई और आप से अपना समस्‍या और पति के साथ अन-बन की शिकायत करने लगी,जिस पर सूरह المجادلۃ की प्रारंभिक आयतें नाजि़ल हुईं,आयशा रज़ीअल्‍लाहु अंहा फरमाती हैं:समस्‍त प्रशंसाएं अल्‍लाह के लिए हैं जो सारी आवाज़ों को सुनता है,प्रश्‍न करने वाली महिला नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम के सेवा में उपस्थित हुई और मैं कमरे के एक कौने में थी,वह (नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम से) अपने पति की शिकायत कर रही थी और मुझे उसकी बात सुनाई नहीं दे रही थी,अल्‍लाह तआ़ला ने यह आयत नाजि़ल फरमाई:

﴿ قَدْ سَمِعَ اللَّهُ قَوْلَ الَّتِي تُجَادِلُكَ فِي زَوْجِهَا وَتَشْتَكِي إِلَى اللَّهِ وَاللَّهُ يَسْمَعُ تَحَاوُرَكُمَا إِنَّ اللَّهَ سَمِيعٌ بَصِيرٌ ﴾ [المجادلة: ۱].

अर्थात:(हे नबी) अल्‍लाह ने सुन ली है उस स्‍त्री की बात जो आप से झगड़ रहीं थी अपने पति के विषय में,तथा गुहार रही थी अल्‍लाह को,और अल्‍लाह सुन रहा था तुम दोनों की वार्तालाप,वास्‍तव में वह सब कुछ सुनने-देखने वाला है।


(इस ह़दीस को अह़मद,निसाई,इब्‍ने माजा और बोखारी ने तालीक़न वर्णित किया है)


पवित्र है वह अल्‍लाह जो السمیع (अति सुन्‍ने वाला है) वह सारी आवाज़ों को सुनता है,चाहे उनकी ज़बानें भिन्‍न और आवश्‍यकताएं भिन्‍न ही क्‍यों न हो,उसकी श्रवण शक्ति के लिए गुप्‍त एवं बाह्य समस्‍त बातें समान हैं:

﴿ سَوَاء مِّنكُم مَّنْ أَسَرَّ الْقَوْلَ وَمَن جَهَرَ بِهِ وَمَنْ هُوَ مُسْتَخْفٍ بِاللَّيْلِ وَسَارِبٌ بِالنَّهَارِ ﴾ [الرعد 10].

अर्थात: (उस के लिये)बराबर है तुम में से जो बात चुपके बोले,और जो पुकार कर बोले,तथा कोई रात के अँधेरे में छुपा हो या दिन क उजाले में चल रहा हो।


पवित्र है वह अल्‍लाह जो सुन्‍ने वाला और जानने वाला है,न कोई श्रवण किसी श्रवण से उसे लापरवाह करती है और न कोई ध्‍वनी किसी ध्‍वनी से उसे व्‍यस्‍त करती है,बल्कि प्रारंभिक काल से ले कर क्‍़यामत तक आने वाले समस्‍त मानव एवं जिन्‍न भी यदि एक भूमि पर खड़े हो कर अल्‍लाह से मांगें तो उस पर कोई ध्‍वनी दूसरी ध्‍वनी के साथ,अथवा कोई भाषा किसी दूसरे भाषा से साथ,अथवा कोई आवश्‍यकता किसी अन्‍य आवश्‍यकता के साथ नहीं मिलेगी,ह़दीसे क़ुदसी में आया है:मेरे बंदोयदि तुम्‍हारे मनुष्‍य और तुम्‍हारे जिन्‍न सब मिल कर एक खुले मैदान में खड़े हो जाएं और मुझ से मांगें और प्रत्‍येक को उसकी मांगी हुई चीज़ प्रदान करदूं तो जो मेरे पास है,उसमें इतना भी कम नहीं होगा जितना सुई समुंद्र में डाली जाए और निकाली जाए।(मुस्लिम)


पवित्र है वह अल्‍लाह जो السمیع है,जो दिलों के भेद को भी सुनता और जानता है


पवित्र है वह अल्‍लाह जो السمیع है,सबसे बुरा अविश्‍वास मुशरिकों (मिश्रणवादियों) का अविश्‍वास है जो यह विश्‍वास करते हैं कि अल्‍लाह तआ़ला भेद एवं कानाफूसी को नहीं जानताअल्‍लाह तआ़ला फरमाता है:

﴿ أمْ يَحْسَبُونَ أَنَّا لَا نَسْمَعُ سِرَّهُمْ وَنَجْوَاهُم بَلَى وَرُسُلُنَا لَدَيْهِمْ يَكْتُبُونَ ﴾ [الزخرف 80].

अर्थात:क्‍या वह समझते हैं कि हम नहीं सुनते हैं उन की गुप्‍त बातों तथा प्रामर्श कोक्‍यों नहीं,बल्कि हमारे फरिश्‍ते उन के पास ही लिख रहे हैं।


ईमानी भाइयोजिस श्रवण को पवित्र अल्‍लाह की ओर संबंधित किया जाता है,वह दो प्रकार के हैं:प्रथम प्रकार:वह श्रवण जिस का संबंध सुनी जाने वाली चीज़ों से है,और यह गुजर चुका है।इसका अर्थ है:ध्‍वनी का ज्ञान रखना,दूसरा प्रकार:वह श्रवण जिसका अर्थ स्‍वीकार करने के हैं,अर्थात:अल्‍लाह तआ़ला उस व्‍यक्ति की दुआ़ स्‍वीकार करता है जो उसे पुकारे,उसी से अल्‍लाह का य‍ह कथन भी है:

﴿ هُنَالِكَ دَعَا زَكَرِيَّا رَبَّهُ قَالَ رَبِّ هَبْ لِي مِن لَّدُنْكَ ذُرِّيَّةً طَيِّبَةً إِنَّكَ سَمِيعُ الدُّعَاء ﴾ [آل عمران38].

अर्थात:तब ज़करिय्या ने अपने पालनहार से प्रार्थना की हे मेरे पालनहारमुझे अपनी ओर से सदाचारी संतान प्रदान कर,नि:संदेह तू प्रार्थना सुनने वाला है।


तथा खलीलुल्‍लाह के द्वारा कहे गए अल्‍लाह के इस वर्णन का भी यही आश्‍य है:

﴿ الْحَمْدُ لِلّهِ الَّذِي وَهَبَ لِي عَلَى الْكِبَرِ إِسْمَاعِيلَ وَإِسْحَاقَ إِنَّ رَبِّي لَسَمِيعُ الدُّعَاءِ ﴾ [إبراهيم 39].

अर्थात:सब प्रशंसा उस अल्‍लाह के लिये है,जिस ने मुझे बुढ़ापे में(दो पुत्र) इस्‍माईल और इस्‍ह़ाक़ प्रदान किये,वास्‍तव में मेरा पालनहार प्रार्थना अवश्‍य सुनने वाला है।


इसी से नमाज़ी का यह कहना भी है कि: (سمع اللہ لمن حمدہ) (अर्थात:अल्‍लाह तआ़ला प्रशंसा करने वालों की सुनता है)।


सह़ीह़ैन(बोखारी एवं मुस्लिम)में अ़ब्‍दुल्‍लाह बिन मस्‍उ़ूद रज़ीअल्‍लाहु अंहु से वर्णित है कि:तीन व्‍यक्ति काबा के पास इकट्ठा हुए,उनमें से दो क़ोरैशी थे और एक सक़फी था,अथवा दो सक़फी थे और एक क़ोरैशी था,उनके दिलों की समझ कम थी,उनके पेटों की चर्बी बहुत थी,उनमें से एक ने कहा:क्‍या तुम समझते हो कि जो कुछ हम कहते हैं,अल्‍लाह सुनता हैदूसरे ने कहा:यदि हम उूंची आवज से बात करें तो सुनता है और धीरे से बात करें तो नहीं सुनता।तीसरे ने कहा:यदि हम ज़ोर से बोंलें तो वह सुनता है,तो फिर धीमे बोलें तो भी सुनता है।अल्‍लाह तआ़ला ने (यह आयतें)नाजि़ल की:

﴿ وَمَا كُنتُمْ تَسْتَتِرُونَ أَنْ يَشْهَدَ عَلَيْكُمْ سَمْعُكُمْ وَلَا أَبْصَارُكُمْ وَلَا جُلُودُكُمْ وَلَكِن ظَنَنتُمْ أَنَّ اللَّهَ لَا يَعْلَمُ كَثِيراً مِّمَّا تَعْمَلُونَ ﴾ [فصلت 22].

अर्थात:तथा तुम(पाप करते समय)छुपते नहीं थे कि कहीं साक्ष्‍य न दें तुम पर तुम्‍हारे कान तथा तुम्‍हारी आँख एवं तुम्‍हारी खालें,परन्‍तु तुम समझते रहे कि अल्‍लाह नहीं जानता उस में से अधिकतर बातों को जो तुम करते हो।


इस पवित्र आयत से ज्ञात होता है कि अल्‍लाह तआ़ला के नामों एवं विशेषताओं के प्रति आस्‍था बिगड़ा हुआ हो तो उसका परिणाम हानिकारक होता है।इसी लिए अल्‍लाह तआ़ला ने उसके पश्‍चात की दो आयतों में फरमाया:

﴿ وَذَلِكُمْ ظَنُّكُمُ الَّذِي ظَنَنتُم بِرَبِّكُمْ أَرْدَاكُمْ فَأَصْبَحْتُم مِّنْ الْخَاسِرِينَ * فَإِن يَصْبِرُوا فَالنَّارُ مَثْوًى لَّهُمْ وَإِن يَسْتَعْتِبُوا فَمَا هُم مِّنَ الْمُعْتَبِينَ ﴾ [فصلت 23 ، 24].

अर्थात:इसी कुविचार ने जो तुम ने किया अपने पालनहार के विषय में तुम्‍हें नाश कर दिया,और तुम विनाशों में हो गये।तो यदि वे धैर्य रखें तब भी नरक ही उन का आवास है,और यदि वे क्षमा माँगें तब भी वे क्षमा नहीं किये जायेंगे।


अल्‍लाह तआ़ला मेरे और आप सबके लिए क़ुरान एवं ह़दीस को बाबरकत बनाए....


द्वतीय उपदेश:

الحمد لله العلي الكبير العلاّم الخبير وأشهد ألا إله إلا الله وحده لا شريك له ﴿ لَيْسَ كَمِثْلِهِ شَيْءٌ وَهُوَ السَّمِيعُ البَصِيرُ ﴾ [الشورى 11]، وأشهد أن محمداً عبده ورسوله البشير النذير صلى الله وسلم عليه وعلى آله .وصحبه.


यह बात छुपी नहीं कि अल्‍लाह तआ़ला की श्रवण उसके महानता एवं श्रेष्‍टता के अनुसार है,हम अल्‍लाह तआ़ला के लिए श्रवण को तो अवश्‍य सिद्ध करते हैं,किंतु उसके अर्थ में को परिवर्तन नहीं मानते,न उसके जीव से उसे सदृश करते हैं,और न उसके हस्‍ती एवं रूप स्‍वरूप बयान करते हैं,जैसा कि अल्‍लाह तआ़ला ने अपने श्रेष्‍टतर हस्‍ती के विषय में फरमाया:

﴿ لَيْسَ كَمِثْلِهِ شَيْءٌ وَهُوَ السَّمِيعُ البَصِيرُ ﴾ [الشورى 11].

अर्थात:और उस की कोई प्रतिमा नहीं और वह सब कुछ सुनने-जानने वाला है।


रह़मान के बंदोअल्‍लाह के पवित्र नाम السمیع पर ईमान लाने और उसके अर्थ को समझने से मोमिन के जीवन पर अनेक प्रभाव होते हैं,उनमें से कुछ प्रभाव निम्‍न में हैं:

• अल्‍लाह का सम्‍मान,एकेश्‍वरवाद,महिमा एवं प्रेम पैदा होता है,हमारा पालनहार पैदा करने वाला,शक्ति रखने वाला,सुनने वाला,देखने वाला,ज्ञान एवं सूचना रखने वाला है,समस्‍त प्रशंसाएं उस पवित्र अल्‍लाह के लिए हैं कि हम उस पर ईमान लाते हैं,उसी की प्रार्थना करते हैं,उसका कोई साझी नहीं,जबकि अनेक लोग अल्‍लाह को छोड़ कर बुतों की पूजा करते हैं:

﴿ يَا أَبَتِ لِمَ تَعْبُدُ مَا لَا يَسْمَعُ وَلَا يُبْصِرُ وَلَا يُغْنِي عَنكَ شَيْئاً ﴾ [مريم 42].

अर्थात:हे मेरे प्रिय पितापिता!क्‍यों आप उसे पूजते हैं,जो न सुनता है और न देखता है,और न आप के कुछ काम आता

• अल्‍लाह के पवित्र नाम पर ईमान लाने के उत्‍कृष्‍ट प्रभावों में से यह भी है कि:अल्‍लाह का प्रेम प्राप्‍त होता और उसके स्‍मरण से आनंद मिलता है,बल्कि अधिक से अधिक स्‍मरण की तौफीक़ मिलती है,आप अपनी गाड़ी में हों,अथवा घर में,अथवा बाज़ार में अथवा खेत-खलयान में अथवा किसी और स्‍थान पर,हमेशा अल्‍लाह का स्‍मरण करते रहें,तस्‍बीह़(सुबह़ानल्‍लाह)व तह़मीद(अलह़मदोलिल्‍लाह),तकबीर(अल्‍लाहु अकबर)व तहलील, لاحوق ولا قوۃ الا باللہ,तौबा व इस्तिग़फार में व्‍यस्‍त रहें और नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम पर दरूद व सलाम भेजते रहें।


• अल्‍लाह के पवित्र नाम السمیع के अर्थ से जब हृदय लाभान्वित हो तो उसका एक प्रभाव यह प्राप्‍त होता है कि:ज़बान पापों से बची रहती है,चुगली,निंदा,अभिशाप एवं अभद्र भाषा से व्‍यक्ति सुरक्षित रहता है,क्‍योंकि आप की समस्‍त बातें अल्‍लाह तआ़ला सुन रहा हैअल्‍लाह तआ़ला से हम पूर्ण ईमान एवं पापों से मुक्ति मांगते हैं


• अल्‍लाह के पवित्र नाम السمیع पर ईमान लाने का एक प्रभाव यह होता है कि:मनुष्‍य रात को नमाज़ की स्‍थापना एवं क़ुरान का सस्‍वर पाठ करता है,आप अल्‍लाह के इस कथन पर विचार करें:

﴿ وَتَوَكَّلْ عَلَى الْعَزِيزِ الرَّحِيمِ * الَّذِي يَرَاكَ حِينَ تَقُومُ * وَتَقَلُّبَكَ فِي السَّاجِدِينَ * إِنَّهُ هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ ﴾[الشعراء 217 – 220].

अर्थात:तथा आप भरोसा करें अत्‍यंत प्रभुत्‍वशाली दयावान् पर।जो देखता है आप को जिस समय(नमाज़ में)खड़े होते हैं।और आप के फिरने को सजदा करने वालों में।नि:संदेह वही सब कुछ सुनने-जानने वाला है।क्‍या मैं तुम सब को बताउूँ कि किस पर शैतान उतरते हैं

• अल्‍लाह के पवित्र नाम का एक السمیع का एक प्रभाव यह होता है कि:बंदा अभद्र भाषा एवं अवगा से अल्‍लाह की ह़या महसूस करता है।


• इस पवित्र नाम पर ईमान लाने का एक प्रभाव यह भी होता है कि:मनुष्‍य वार्तालाप में सच्‍चाई को अपनाता और झूट से बचजा है।


अल्‍लाह के महान नाम السمیع पर ईमान लाने और उसके अर्थ को दिल में जीवित रखने का एक प्रभाव यह होता है कि:दुआ़ के समय मनुष्‍य पूरे विश्‍वास के साथ दुआ़ करता और अपनी आवाज़ धीमी रखता है,अत: ज़करिया अलैहिस्‍सलाम ने अपने पालनहार को धीमी आवाज में पुकारा जबकि वह बूढ़े हो चुके थे,किंतु अल्‍लाह ने उनको यह़्या की खुशखबरी दी,इसी प्रकार से खलील अलैहिस्‍सलाम को भी बुढ़ापे में ही संतान हुआ,और यूसुफ अलैहिस्‍सलाम ने महिलाओं की चालबाजी से सुरक्षे की दुआ़ मांगी तो अल्‍लाह ने उनकी दुआ़ स्‍वीकार फरमाई:

﴿ فَاسْتَجَابَ لَهُ رَبُّهُ فَصَرَفَ عَنْهُ كَيْدَهُنَّ إِنَّهُ هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ ﴾ [يوسف 34].

अर्थात:तो उस के पालनहार ने उस की प्रार्थना को स्‍वीकार कर लिया,और उस से उन के छल को दूर कर दिया वास्‍तव में वह बड़ा सुनने जानने वाला है।


दरूद व सलाम पढ़ें....

صلى الله عليه وسلم.

 

https://www.alukah.net/sharia/0/142990/





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