• الصفحة الرئيسيةخريطة الموقعRSS
  • الصفحة الرئيسية
  • سجل الزوار
  • وثيقة الموقع
  • اتصل بنا
English Alukah شبكة الألوكة شبكة إسلامية وفكرية وثقافية شاملة تحت إشراف الدكتور سعد بن عبد الله الحميد
 
الدكتور سعد بن عبد الله الحميد  إشراف  الدكتور خالد بن عبد الرحمن الجريسي
  • الصفحة الرئيسية
  • موقع آفاق الشريعة
  • موقع ثقافة ومعرفة
  • موقع مجتمع وإصلاح
  • موقع حضارة الكلمة
  • موقع الاستشارات
  • موقع المسلمون في العالم
  • موقع المواقع الشخصية
  • موقع مكتبة الألوكة
  • موقع المكتبة الناطقة
  • موقع الإصدارات والمسابقات
  • موقع المترجمات
 كل الأقسام | المكتبة المرئية   المكتبة المقروءة   المكتبة السمعية   مكتبة التصميمات   كتب د. خالد الجريسي   كتب د. سعد الحميد  
اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة
  •  
    أسماء الله الحسنى من خلال الجزء (السابع والعشرون) ...
    محمد نور حكي علي
  •  
    النبي صلى الله عليه وسلم يوصي بكثرة الصلاة عليه ...
    جمعية مشكاة النبوة
  •  
    شرح كتاب الأصول الثلاثة: اعلم أرشدك الله لطاعته ...
    الداعية عبدالعزيز بن صالح الكنهل
  •  
    التطبيقات النحوية على متن الآجرومية (PDF)
    خلدون عبدالقادر حسين ربابعة
  •  
    البرهان في تجويد القرآن ومعه رسالة في فضل القرآن ...
    جابر بن عبدالسلام المصعبي
  •  
    فتح الأغلاق شرح قصيدة الأخلاق (PDF)
    د. عبدالله إسماعيل عبدالله هادي
  •  
    تدبر سورة العصر (PDF)
    عبدالله عوض محمد الحسن
  •  
    الإيمان والأمن من خلال القرآن
    ياسر عبدالله محمد الحوري
  •  
    خمسون حكمة في مواجهة الغلو (PDF)
    الشيخ حذيفة بن حسين القحطاني
  •  
    كيفية الصلاة على الميت: فضلها والأدعية المشروعة ...
    اللجنة العلمية بالقسم النسائي بأم الجود
  •  
    فتح الرحيم الغفار في جوامع الأدعية والأذكار (PDF)
    منصة دار التوحيد
  •  
    الملائكة تصلي على من يصلي على النبي صلى الله عليه ...
    جمعية مشكاة النبوة
شبكة الألوكة / آفاق الشريعة / منبر الجمعة / الخطب / مواضيع عامة
علامة باركود

لا تكونوا عون الشيطان على أخيكم.. فوائد وتأملات (باللغة الهندية)

لا تكونوا عون الشيطان على أخيكم.. فوائد وتأملات (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

مقالات متعلقة

تاريخ الإضافة: 25/5/2022 ميلادي - 24/10/1443 هجري

الزيارات: 11830

 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
النص الكامل  تكبير الخط الحجم الأصلي تصغير الخط
شارك وانشر

अपने भाई के विरुद्ध शैतान की सहायता मत कीजिए

लाभ एवं चिंता के आएने में

 

प्रशंसाओं के पश्‍चातअल्‍लाह ने अपने बंदों को पैदा किया और आकाश एवं धर्ती की समस्‍त चीज़ों को उनके अधीन कर दिया,उन्‍हें अपनी आंतरिक एवं बाह्य उपकारों से माला-माल किया और रसूलों को शुभसूचकव सचेतकर्ताबना कर भेजा,अत: शरीअ़त ने मखलूक़ों के लिए अनेक चीज़ों को मबाह़ (मान्‍य एवं वैध) किया,उन मबाह़ चीज़ों की गिनती संभव नहीं,और शरीअ़त ने बहुत कम चीज़ों को ह़राम (अवैध) किया,इस लिए कि उन ह़राम चीज़ों में दुष्‍टता पाया जाता है,(ह़लाल एवं ह़राम का आदेश देने वाला) वह पवित्र हस्‍ती,ज्ञानी,कृपालु एवं दयालु और नीति वाला है।रसूलों (संदेशवाहकों) के श्रृंख्‍ला की अंतिम कड़ी हमारे नबी (सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम) की हस्‍ती थी,और आप मोमिनों के हित में कृपालु एवं दयालु थे,उनके समक्ष अल्‍लाह के आयतों का सस्‍वर पाठ करते,उनकी आत्‍मा को पवित्र करते और उन्‍हें क़ुर्रान एवं ह़दीस की शिक्षा देते थे,इसी लिए आप के सह़ाबा (रज़ीअल्‍लाहु अंहुम) ने तक्‍़वा एवं धर्मनिष्‍ठा और पुण्‍य एवं भलाई का जीवन गुजारा,इन विशेषताओं के बावजूद वे मासूम नहीं थे,ह़दीस में सह़ाबा के पाप के दुर्लभघटनाएं आती हैं,आइए कुछ ऐसे ही दृश्‍यों का अवलोकन करते और उनके कुछ लाभों पर विचार करते हैं।


इमाम बोखारी ने अपनी सह़ी में उ़मर बि खत्‍ताब रज़ीअल्‍लाहु अंहु से रिवायत किया है कि:नबी पाक सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम के युग में एक व्‍यक्ति,जिसका नाम अ़ब्‍दुल्‍लाह था और उपनामहि़मारसे पुकारे जाते थे,वह नबी सलल्‍लाहु अलैहि सवल्‍लम को हंसाते थे और आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने उन्‍हें शराब पीने पर मारा था तो उन्‍हें एक दिन लाया गया और नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने उनके लिए आदेश दिया और उन्‍हें मारा गया।दर्शकगण में एक सज्‍जन ने कहा:अल्‍लाह उस पर शापकरेकितनी बार इसे लाया जा चुका है,नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने फरमाया कि इस पर अभिशापमत करो।अल्‍लाह की क़सम मैं ने इसके विषय में यही जाना है कि यह अल्‍लाह और उसके रसूल से प्रेम करता है।


अबू होरैरा रज़ीअल्‍लाहु अंहु ने बयान किया कि नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍ल्‍म के पास एक व्‍यक्ति को नशे की हालत में लाया गया तो आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने उन्‍हें मारने का आदेश दिया,हम में से कुछ ने उन्‍हें हाथ से मारा,कुछ ने जूते से मारा और कुछ ने कपड़े से मारा,जब वह चले गए तो एक व्‍यक्ति ने कहा,क्‍या हो गया उसेअल्‍लाह उसे अपमानितकरे।आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने फरमाया कि अपने भाई के विरुद्ध शैतान की सहायता न करो।(इस ह़दीस को इमाम बोखारी ने वर्णित किया है)


ए रह़मान के बंदोआइए हम इन दोनों ह़दीसों के कुछ बिंदुओं को देखते हैं।


प्रथम बिंदु:पापी को कृपा व दया एवं प्रेम की दृष्टि से देखना चाहिए,ताकि वह हिदायत के मार्ग पर आ सके,इस लिए कि जब पवित्र देवदूतों ने हमारे रब की प्रशंसा की और उसे पुकारा तो उन्‍हों ने अल्‍लाह की विशेषता कृपा से आरंभ किया:

﴿ رَبَّنَا وَسِعْتَ كُلَّ شَيْءٍ رَّحْمَةً وَعِلْمًا فَاغْفِرْ لِلَّذِينَ تَابُوا وَاتَّبَعُوا سَبِيلَكَ وَقِهِمْ عَذَابَ الْجَحِيمِ ﴾ [غافر:7].

अर्थात: हे हमारे पालनहारतू ने घेर रखा है प्रत्‍येक वस्‍तु को (अपनी) दया तथा ज्ञान से।अत: क्षमा कर दे उन की जो क्षमा माँगें,तथा चलें तेरे मार्ग पर तथा बचा ले उन्‍हें नरक की यातना से।


अल्‍लाह ने खि़जि़र की दो विशेषताओं की प्रशंसा की,प्रथम कृपा की विशेषता है:

﴿ فَوَجَدَا عَبْدًا مِّنْ عِبَادِنَآ ءَاتَيْنَٰهُ رَحْمَةً مِّنْ عِندِنَا وَعَلَّمْنَٰهُ مِن لَّدُنَّا عِلْمًا ﴾ [الكهف:65]

अर्थात:और दोनों ने पाया हमारे भक्‍तों में से एक भक्‍त को,जिसे हम ने अपनी विशेष दया प्रदान की थी,और उसे अपने पास से कुछ विशेष ज्ञान दिया था।


एक दूसरा बिंदु यह है कि बंदा पाप करता है और उसके साथ ही उस के दिल में अल्‍लाह का प्रेम भी होता है,किंतु उस प्रेम की श्रेणी विभिन्‍न होती हैं,हम अल्‍लाह तआ़ला से यह प्रार्थना करते हैं हमारे दिलों को अपने प्रेम से भर दे,ह़दीस से एक लाभ यह भी प्राप्‍त होता है कि असत्‍य के मामले में किसी के साथ अनुग्रह नहीं कि जानी चाहिए।


ह़दीस से एक बिंदु यह भी मिलता है कि शरीअ़त की यातनाओं का उद्देश्‍य पाप से पवित्र करना और    फटकारना व निन्‍दा करना है,न कि (दिल का) भड़ास निकालना और बदला लेना।


ह़दीस का एक लाभ न्‍याय करना भी है,न्‍याय निष्‍पक्षता की कोख से जन्‍म लेता है,यदि न्‍याय के लाभ में केवल क्रुरता से रक्षा ही होती तो भी यही प्रयाप्‍त था,परंतु उन्‍हों ने कबीरा (बड़े) पाप की स्‍वीकृती की थी,जिस पर उनको यातना भी हुई थी,किन्‍तु जब उनको धिक्‍कारागया और अभिशाप दिया गया तो उस समय अल्‍लाह और उसके रसूल के प्रति उनका प्रेम भी सिद्ध किया गया और यह अत्‍यंत प्रिय एवं सम्‍मानित गवाही है।


एक बिंदु शराब की खतरनाकी भी है,अत: अल्‍लाह तआ़ला इसके विषय में फरमाता है:

﴿ رجس من عمل الشيطان ﴾ [المائدة:90]

अर्थात:शैतानी मलिन कर्म हैं।


रसूलुल्‍लाह सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने शराब के विषय में दस प्रकार के लोगों पर शापभेजी है,क्‍योंकि यदि शराबी तौबा नहीं करता तो शराब पीना दुनिया में ही ह़द (दंड) को अनिवार्य कर देता और क्‍़यामत के दिन उसके लिए यह धमकी है कि उसे नरक वासियों का पसीना पिलाया जाएगा,इसके अतिरिक्‍त शराब पीने पर और भी धमकियांहैं।


एक बिंदु यह भी है कि इससे अल्‍लाह के रसूल के चरित्र की महानता झलकती है,अल्‍लाह ने सत्‍य फरमाया:

﴿ وما أرسلناك إلا رحمة للعالمين ﴾ [الأنبياء:107]

अर्थात: और (हे नबी) हम ने आप को नहीं भेजा है किन्‍तु समस्‍त संसार के लिये दया बना कर।


अल्‍लाह मुझे और आप को क़ुर्रान एवं ह़दीस और इनमें मौजूद हिदायत व नीति से लाभ पहुंचाए,अल्‍लाह से तौबा एवं इस्तिग़फार कीजिए नि:संदेह वह अति क्षमाशील है।


द्वतीय उपदेश:

र्स्‍वोत्‍तम कलाम का निर्देश करने वाले मोह़म्‍मद मुस्‍तफ़ा के आगमन से अंधकार के युग में आलोक की सुबह चमक उठी।


वह़्य व क़ुर्रान एंव रचनाकार के मार्ग अर्थात इस्‍लाम धर्म द्वारा आप ने अंपढ़ों की ईंट से ईंट बजादी।


ऐ हिदायत के प्रतीकआप के उूपर अल्‍लाह का दरूद व सलाम हो,दिन भर में कोई ऐसी घड़ी न रहे जो आप के दरूद से खा‍ली हो।


प्रशंसाओं के पश्‍चात

ऐ ईमानी भाइयोदोनों ह़दीसों से एक महत्‍वपूर्ण बिंदु यह भी निकलात है कि:पाप की ओर जाने से बचना चाहिए,क्‍योंकि जब बंदा पाप करता है तो उसके दिल में पाप का डर और उसकी गंभीरता का भाव कम पड़ जाता है,इसी लिए कभी कभी आप ने संबंधों को तोड़ने वाले एवं शराबी को देखा होगा कि यदि उन्‍हें रिश्‍वत दी गई तो उन्‍हों ने स्‍वीकार कर लिया हो,और इस बात की परवाह नहीं करता कि वह अपने जीवन में ह़राम (अवैध) धन ले रहा है,इसी प्रकार से आप ने अनेक चुगली करने वाले एवं झूठ बोलने वाले को देखा होगा कि यदि उनको पाप करने का अवसर मिला हो तो उन्‍हों ने इससे मुंह नहीं भेरा हो,इस लिए कि उनकी पवित्रता अभी पूरा नष्‍ट नहीं हुआ हो,इस लिए मुसलमान के लिए अनिवार्य है कि इस गुण की रक्षा करे,अनुभव एवं प्रकटीकरण के द्वारा शैतान से बचता रहे।


एक बिंदु यह भी है कि प्रेम एवं कृपा का मतलब यह नहीं है कि सावधानी को अपनाना छोड़ दिया जाए और यदि गलती करने वाला यातना का पात्र हो तो उसे यातना न दी जाए,क्‍योंकि यह शराबी ऐसा मसखरा था जो अल्‍लाह के रसूल को हंसाया करता था,इसके बावजूद भी जब उसने शराब पी तो आप ने उसे कोड़े मारने और डांटनेव फटकारने करने का आदेश दिया,एक दूसरी रिवायत में आया है कि आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने फरमाया:तुम लोग उसे ज़ुबान से शर्म दिलाओ( अर्थात बुरा भला कहो),तो लोग उसकी यह कहने लगे:न तो तू अल्‍लाह से डरा,न उससे भय किया और न रसूलुल्‍लाह सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम से शर्मायाअन्‍य लोगों ने कहा:अल्‍लाह तुझे अपमानितकरे,उस पर आप ने फरमाया:ऐसा मत कहो,और इसके विरुद्ध शैतान की सहायता न करो,बल्कि इस प्रकार कहो:हे अल्‍लाह इसको क्षमा प्रदान कर,इस पर कृपा फरमा।


आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम की यह सुंदर आदत थी कि आप किसी ऐसे व्‍यक्ति को शापनहीं देते थे जिस पर यातना लागू की जाती,इस लिए कि इस्‍लामी यातना पापी को उसके पाप से पवित्र करदेती है,तथा आप ने इस प्रकार की चीज़ से ग़ामदिया आदि वाली ह़दीस के अंदर भी मना फरमाया है।


इससे एक पाठ यह भी मिलता है कि पापी को शर्म दिलाने एवं उसका मज़ाक उड़ाने से बचना चाहिए।


एक लाभ यह भी प्राप्‍त होता है कि समस्‍त मुसलमानों का अपने शत्रु (मनुष्‍य एव जिन्‍न) के विरुद्ध संयुक्‍त होना है।


अंतिम बिंदु यह है कि पाप से इस्‍लामी भाई चारगी समाप्‍त नहीं होती,और इस्‍लाम में भाईचारे के भी अधिकार हैं।


इस लाभ के साथ मैं अपनी बात समाप्‍त करता हूं कि सकारात्‍मक भाग को सशक्‍त करना चाहिए,विशेष रूप से उस समय जब गलत करने अथवा पाप करने वाला विनम्रमा का प्रदर्शन कर रहा हो।


मेरे ज्ञान में यही है कि वह अल्‍लाह और उसके रसूल से प्रेम करता हैपरीक्षण से जूझ रहे उस व्‍यक्ति के लिए यह गवाही अति महत्‍वपूर्ण है।


दरुद व सलाम पढ़ें....

 





 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
شارك وانشر

مقالات ذات صلة

  • لا تكونوا عون الشيطان على أخيكم.. فوائد وتأملات
  • لا تكونوا عون الشيطان على أخيكم.. فوائد وتأملات (باللغة الأردية)
  • ضرورة طلب الهداية من الله (باللغة الهندية)
  • الله الكريم الأكرم (خطبة) (باللغة الهندية)
  • مقاصد الشيطان لإغواء الإنسان
  • عبودية استماع القرآن العظيم (خطبة) (باللغة الهندية)
  • لا تكونوا عون الشيطان على أخيكم.. فوائد وتأملات - باللغة الإندونيسية
  • "لا تكونوا عون الشيطان على أخيكم".. فوائد وتأملات (خطبة) - باللغة البنغالية
  • لا تكونوا عون الشيطان على أخيكم.. فوائد وتأملات - باللغة النيبالية

مختارات من الشبكة

  • لا تكونوا عون الشيطان على أخيكم(مقالة - موقع د. تيسير بن سعد بن راشد أبو حيمد)
  • قول: باسم الله اللهم جنبني الشيطان وجنب الشيطان ما رزقتنا قبل الوقاع: سبب لطرد الشيطان(مقالة - آفاق الشريعة)
  • تفسير: (يا أبت لا تعبد الشيطان إن الشيطان كان للرحمن عصيا)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • كيف تتخلص من نزغ الشيطان؟ خطوات لمنع الشيطان من إعاقة تفكيرك وسلوكك(كتاب - مكتبة الألوكة)
  • { لا تكونوا كالذين كفروا.. }(مقالة - آفاق الشريعة)
  • يا أيها الذين آمنوا لا تكونوا كالذين كفروا...(مقالة - موقع أ. د. فؤاد محمد موسى)
  • يا دعاة الباطل لا تكونوا كاليهود: {ولا تلبسوا الحق بالباطل وتكتموا الحق وأنتم تعلمون}(مقالة - موقع أ. د. فؤاد محمد موسى)
  • تفرق المسلمين: ولا تكونوا كالذين تفرقوا واختلفوا من بعد ما جاءهم البينات(مقالة - موقع أ. د. فؤاد محمد موسى)
  • تفسير: (منيبين إليه واتقوه وأقيموا الصلاة ولا تكونوا من المشركين)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • { ولا تكونوا أول كافر به }(مقالة - آفاق الشريعة)

 



أضف تعليقك:
الاسم  
البريد الإلكتروني (لن يتم عرضه للزوار)
الدولة
عنوان التعليق
نص التعليق

رجاء، اكتب كلمة : تعليق في المربع التالي

مرحباً بالضيف
الألوكة تقترب منك أكثر!
سجل الآن في شبكة الألوكة للتمتع بخدمات مميزة.
*

*

نسيت كلمة المرور؟
 
تعرّف أكثر على مزايا العضوية وتذكر أن جميع خدماتنا المميزة مجانية! سجل الآن.
شارك معنا
في نشر مشاركتك
في نشر الألوكة
سجل بريدك
  • بنر
  • بنر
كُتَّاب الألوكة
  • ستولاك تستعد لانطلاق النسخة الثالثة والعشرين من فعاليات أيام المساجد
  • موافقة رسمية على مشروع تطويري لمسجد بمدينة سلاو يخدم التعليم والمجتمع
  • بعد انتظار طويل.. وضع حجر الأساس لأول مسجد في قرية لوغ
  • فعاليات متنوعة بولاية ويسكونسن ضمن شهر التراث الإسلامي
  • بعد 14 عاما من البناء.. افتتاح مسجد منطقة تشيرنومورسكوي
  • مبادرة أكاديمية وإسلامية لدعم الاستخدام الأخلاقي للذكاء الاصطناعي في التعليم بنيجيريا
  • جلسات تثقيفية وتوعوية للفتيات المسلمات بعاصمة غانا
  • بعد خمس سنوات من الترميم.. مسجد كوتيزي يعود للحياة بعد 80 عاما من التوقف

  • بنر
  • بنر

تابعونا على
 
حقوق النشر محفوظة © 1447هـ / 2025م لموقع الألوكة
آخر تحديث للشبكة بتاريخ : 23/1/1447هـ - الساعة: 8:41
أضف محرك بحث الألوكة إلى متصفح الويب