• الصفحة الرئيسيةخريطة الموقعRSS
  • الصفحة الرئيسية
  • سجل الزوار
  • وثيقة الموقع
  • اتصل بنا
English Alukah شبكة الألوكة شبكة إسلامية وفكرية وثقافية شاملة تحت إشراف الدكتور سعد بن عبد الله الحميد
الدكتور سعد بن عبد الله الحميد  إشراف  الدكتور خالد بن عبد الرحمن الجريسي
  • الصفحة الرئيسية
  • موقع آفاق الشريعة
  • موقع ثقافة ومعرفة
  • موقع مجتمع وإصلاح
  • موقع حضارة الكلمة
  • موقع الاستشارات
  • موقع المسلمون في العالم
  • موقع المواقع الشخصية
  • موقع مكتبة الألوكة
  • موقع المكتبة الناطقة
  • موقع الإصدارات والمسابقات
  • موقع المترجمات
 كل الأقسام | المكتبة المرئية   المكتبة المقروءة   المكتبة السمعية   مكتبة التصميمات   كتب د. خالد الجريسي   كتب د. سعد الحميد  
اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة
  •  
    لقاء حول الفتوى والاجتهاد (PDF)
    أ. د. عبدالله بن محمد الطيار
  •  
    آداب الجنائز - (أ) الآداب التي ينبغي أن تفعل قبل ...
    الشيخ ندا أبو أحمد
  •  
    خمسون قاعدة في فقه البيوع (PDF)
    الشيخ حذيفة بن حسين القحطاني
  •  
    تدبر سورة العاديات (PDF)
    عبدالله عوض محمد الحسن
  •  
    مع سورة الجن (WORD)
    د. خالد النجار
  •  
    من قصص القرآن والسنة: قصة نبي الله داود عليه ...
    الشيخ الدكتور سمير بن أحمد الصباغ
  •  
    النحو العربي: نشأته - مدارسه - قضاياه - ثماره ...
    محمد زكريا محمود صاري الشافعي الحلبي
  •  
    الراحمون يرحمهم الرحمن
    محمد بديع موسى
  •  
    البيان في متشابه القرآن للإمام العلامة أبي علي ...
    د. إياد العكيلي
  •  
    الأصناف الذين وصى بهم الرسول صلى الله عليه وآله ...
    أ. د. حسن بن محمد بن علي شبالة
  •  
    لقاء حول العلم والعلماء (PDF)
    أ. د. عبدالله بن محمد الطيار
  •  
    كبار السن.. وإجلالهم..
    الدكتور علي بن عبدالعزيز الشبل
شبكة الألوكة / آفاق الشريعة / منبر الجمعة / الخطب / العبادات / الحج والأضحية
علامة باركود

من دروس الحج وآثاره (خطبة) (باللغة الهندية)

من دروس الحج وآثاره (خطبة) (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

مقالات متعلقة

تاريخ الإضافة: 10/12/2022 ميلادي - 17/5/1444 هجري

الزيارات: 4885

 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
النص الكامل  تكبير الخط الحجم الأصلي تصغير الخط
شارك وانشر

शीर्षक:

ह़ज्ज से प्राप्त होने वाले पाठ एवं उस के प्रभाव


अनुवादक:

फैज़ुर रह़मान ह़िफज़ुर रह़मान तैमी


प्रथम उपदेश:

प्रशंसाओं के पश्चात


मैं आप को एवं स्वयं को आदरणीय एवं सर्वश्रेष्ठ अल्लाह का तक़्वा (धर्मनिष्ठा) अपनाने की वसीयत करता हूँ,अल्लाह ने अपने संपूर्ण क़ुर्आन में फरमाया:

﴿ وَاتَّقُوا اللَّهَ وَاعْلَمُوا أَنَّ اللَّهَ مَعَ الْمُتَّقِينَ ﴾[البقرة: 194].

अर्थात:तथा अल्लाह के आज्ञाकारी रहो,और जान लो कि अल्लाह आज्ञाकारियों के साथ है।


प्रेम व अनुराग,आदर व सम्मान एवं महानता के लिए इतना ही प्रयाप्त है,आदरणीय सज्जनो आज (दसवीं ज़ीलह़िज्जा को) मुसलमानों ने प्रत्येक स्थान पर विभिन्न प्रार्थनाएं कीं,धन से भी और शरीर से भी,कथन से भी और व्यवहारिक भी।


और अभी ह़ाजियों का समूह अल्लाह के घर (काबा) की ओर चल बसा है,वे अल्लाह के घर में विनम्रता एवं विनयशीलता से खड़े हैं,अल्लाह के वचन एवं उस के असीम पुण्य व बदले की आशा से उन के दिल भरे हैं,वे एक महानतम प्रार्थना और इस्लाम धर्म के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ को पूरा कर रहे हैं,अल्लाह तआ़ला उनकी प्रार्थना स्वीकार फरमाए और ह़ज्ज को पूरा करना उन के लिए आसान करे।


ईमानी भाइयो अल्लाह तआ़ला ने महान नीति एवं बहुमूल्य उद्देश्यों के चलते प्रार्थनाओं को अनिवार्य किया है,और आज के इस महान दिन-जिसे ह़ज्ज-ए-अकबर (बड़ा ह़ज्ज) का दिन कहा जाता है-मैं आप के समक्ष इस महान शई़रा अर्थात ह़ज्ज के कुछ भेद एवं नीतियां प्रस्तुत करने जा रहा हूँ।


ह़ज्ज से प्राप्त होने वाले महत्वपूर्ण पाठों में से एक यह है कि:अल्लाह तआ़ला की तौह़ीद (एकेश्वरवाद) को व्यवहार में लाया जाए,अत: तल्बीह (ह़ज्ज के दौरान पढ़ी जाने वाली दुआ़) ह़ज्ज की पहचान एवं चाभी है,सर्वश्रेष्ठ जीव (नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने भी तल्बीह (ह़ज्ज के दौरान पढ़ी जाने वाली दुआ़) पुकारा जैसा कि जाबिर रज़ीअल्लाहु अंहु ने आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के ह़ज्ज का विवरण बयान करते हुए फरमाया:फिर आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने (अल्लाह की) तौह़ीद का तल्बीह (ह़ज्ज के दौरान पढ़ी जाने वाली दुआ़) पुकारा"لبيك اللهم لبيك .. لبيك لا شريك لك لبيك .. إن الحمد والنعمة لك والملك .. لا شريك لك" ।इस ह़दीस को मुस्लिम ने रिवायत किया है।


त्लबीह (ह़ज्ज के दौरान पढ़ी जाने वाली दुआ़) अल्लाह की तौह़ीद पर आधारित है जो कि इस्लाम की आत्मा,उसका आधार और मूलहै,और जिस का मतलब है शिर्क के समस्त रूपों से अलग होना,तिरमिज़ी की मरफूअ़न ह़दीस है जिसे अल्बानी ने ह़सन कहा है: (सर्वउत्तम दुआ़ अ़र्फा वाले दिन की दुआ़ है और मैं ने अब तक जो कुछ (अनुसरण के रूप में) कहा है और मुझ से पूर्व जो अन्य पैगंबरों ने कहा है उन में सबसे उत्तम दुआ़ यह है:

(لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَحْدَهُ لاَ شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْئٍ قَدِيرٌ)

ह़ज्ज से एक पाठ यह भी प्राप्त होता है कि:नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम का अनुगमन किया जाए,हमारे नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने ह़ज्ज में फरमाया करते थे: (मुझ से अपनी प्रार्थनाओं की विधि प्राप्त कर लो)।


इब्ने अ़ब्बास रज़ीअल्लाहु अंहुमा फरमाते हैं: (उसी प्रकार से ह़ज्ज करो जिस प्रकार नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ह़ज्ज किया और यह न कहो कि यह सुन्नत है और यह फर्ज़ है)।


मालूम हुआ कि इस जीवन में आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के मार्ग पर चलते रहने में ही हिदायत है,अल्लाह तआ़ला का फरमान है:

﴿فَآمِنُوا بِاللَّهِ وَرَسُولِهِ النَّبِيِّ الْأُمِّيِّ الَّذِي يُؤْمِنُ بِاللَّهِ وَكَلِمَاتِهِ وَاتَّبِعُوهُ لَعَلَّكُمْ تَهْتَدُونَ ﴾ [الأعراف: 158].

अर्थात:अत:अल्लाह पर ईमान लाओ,और उस के उस उम्मी नबी पर जो अल्लाह पर और उस के सभी (आदि) पुस्तकों पर ईमान रखते हैं,और उन का अनुसरण करो,ताकि तुम मार्ग दर्शन पा जाओ।


ह़ज्ज का एक लाभ है: इस्लामी बंधुत्व का प्रदर्शन,ह़ाजी लोग विभिन्न विभिन्न स्थानों से होते हैं,उनकी भाषाएं एवं रंग विभिन्न होते हैं,किन्तु वे सब के सब एक ही प्रार्थना कर रहे होते हैं,अत: न धनवनताको कोई प्राथमिकता एवं अपवादात्म्कस्थान प्राप्त होता है और न वंशऔर नेतृत्वव सरदारी को,बल्कि अ़र्फा में एक ही प्रकार से सब वुकू़फ (ठहरना) करते हैं,मुज़दलफा में एक ही प्रकार से रात गुजारते हैं,प्रत्येक व्यक्ति जमरात को कंकड़ियां ही मारता है,त़वाफ एक जैसा,सई़ भी एक जैसी,धनी,सम्मानित,अथवा मंत्री के लिए यह उचित नहीं कि एक कंकड़ी कम करदे,अथवा वुकू़फ (ठहरना) अथवा मबीत (रात गुजारना) के बिना ह़ज्ज पूरा करले,समस्त लोग समान श्रेणी के होते हैं,इस प्रार्थना को करने में किसी अ़ब्री और अ़जमी (गैर अ़रब) में अंतर नहीं होता और न किसी गोरे और काले में,सिवाए तक़्वा के।


ह़ज्ज का एक ईमानी पाठ है: मुसलमान को विनम्रता व विनयशलता एवं दुआ़ का प्रशिक्षण,अत: अ़र्फा व मुज़दलफा में और इसी प्रकार से जमरा-ए-वुस्ता (मध्यम) और जमरा सुगरा (छोटा) को कंकड़ी मारने के पश्चात दुआ़ करना मशरू है,तथा सफा व मरवा पर और सई़ के समय भी दुआ़ करना मशरू है,दुनिया व आख़िरत की कितनी ऐसी भलाइयां हैं जो दुआ़ से प्राप्त होती हैं।


ह़ज्ज का एक पाठ यह भी है: मुसलमान को सब्र और सुंदर नैतिकताको अपनाने की प्रशिक्षण:

﴿ فَمَنْ فَرَضَ فِيهِنَّ الْحَجَّ فَلَا رَفَثَ وَلَا فُسُوقَ وَلَا جِدَالَ فِي الْحَجِّ ﴾ [البقرة: 197].

अर्थात:तो जो व्यक्ति इन में ह़ज्ज का निश्चय कर ले तो (ह़ज्ज के बीच) काम वासना तथा अवैज्ञा और झगड़े की बात न करे।


नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह वचन दिया है कि ह़ाजी जब लौटता है तो वाह पापों से पवित्र होता है,शर्त यह है कि: (जो व्यक्ति केवल अल्लाह के लिए ह़ज्ज करे,फिर न कोई पाप करे,न अश्लील कार्यकरे और न ही कदाचार एवं पापकरे तो वह पापों से ऐसे वापस होगा जैसे उसे आज ही उसकी माँ ने जन्म दिया हो)।


हे अल्लाह अपने बंदों की प्रार्थनाओं को स्वीकार ले,अपने घर के ह़ाजियों की रक्षा फरमा,और हमें और उन सब को क्षमा फरमा,नि:संदेह तू अति अधिक क्षमा करने वाला है।


द्वतीय उपदेश:

الحمد لله كثيرًا، وسبحان الله بُكْرة وأصيلاً، وصلى الله وسلم على رسوله الأمين، وعلى آله وصَحبه أجمعين.


प्रशंसाओं के पश्चात:

ह़ज्ज समस्त लोगों के लिए और मुस्लिम उम्मत के लिए ख़ैर व भलाई का कारण है,अल्लाह तआ़ला का फरमान है:

﴿ لِيَشْهَدُوا مَنَافِعَ لَهُمْ ﴾ [الحج: 28]

अर्थात:ताकि वह उपस्थित हों अपने लाभ प्राप्त करने के लिए।


इब्ने अ़ब्बास रज़ीअल्लाहु अंहुमा इस आयत के वर्णन में फरमाते हैं: (अर्थात दुनिया एवं आख़िरत के लाभ,जहाँ तक प्रलय के लाभ की बात है तो इसका आशय अल्लाह तआ़ला की प्रसन्नता है।रही बात संसारिक लाभ की तो इसका आशय शारीरिक लाभ,ज़बाएह़ (बधें) एवं व्यापार हैं)।


ह़ज्ज से प्राप्त होने वाला एक लाभदायक पाठ यह है कि: इस्लाम एक आसान धर्म है,ह़ज्ज जीवन में एक ही बार अनिवार्य है,और शक्ति के बाद अनिवार्य है,बोख़ारी में अ़ब्दुल्लाह बिन अ़म्र बिन अलआ़स से वर्णित है,वह फरमाते हैं: मैं ने नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम को जमरे के निकट इस स्थिति में देखा कि आप से प्रश्न पूछे जा रहे हैं,अत: एक व्यक्ति ने कहा: ए अल्लाह के रसूल मैं ने रमी (जमरात पर कंकड़ियां मारने) से पहले क़ुर्बानी कर ली है आप ने फरमाया: अब रमी कर लो,कोई बात नहीं ।दूसरे ने पूछा: ए अल्लाह के रसूल मैं ने क़ुर्बानी से पहले सर मुंडवा लिया है आप ने फरमाया: अब क़ुर्बानी कर लो,कोई बात नहीं ।इसी प्रकार से किसी भी चीज़ के आगे पीछे होने के विषय में प्रश्न किया गया तो आप ने उस का उत्तर दिया: अब करलो,कोई बात नहीं ।


ह़ज्ज का एक पाठ और प्रभाव यह है: ख़ामोश प्रवचन व परामर्श,अत: ह़ाजी अपने समस्त कपड़े निकाल कर स्नान करता और इह़राम का सादा सफेद वस्त्र पहनता है,और मनुष्य जब दुनिया से जाता है तो इसी प्रकार की स्थिति में उसे (दफन किया जाता है),सूरह البقرۃ में ह़ज्ज की आयतों का समापन भी ह़श्र के उल्लेख से हुआ है और सूरह الحج का आरंभ भी प्रलय के भूकंप से हुआ है।


ह़ज्ज का एक लाभ एवं प्रभाव है: मुसलमानों की एकता वसमन्वय,उन के बीच आपसीपरिचय और अपने धार्मिक व संसारिक मामलों में आपसी सलाह,मुसलमान प्रत्येक दूर दराज़ स्थान से इस भूमि में इकट्ठा होते हैं।


इस फरीज़ा का एक पाठ एवं प्रभाव है: प्रचुर्ता से अल्लाह के स्मरण की प्रशिक्षण:

﴿ فَاذْكُرُوا اللَّهَ عِنْدَ الْمَشْعَرِ الْحَرَامِ وَاذْكُرُوهُ كَمَا هَدَاكُمْ ﴾ [البقرة: 198]

अर्थात:तो मश्अरे ह़राम (मुज़दलिफह) के पास अल्लाह का स्मरण करो जिस प्रकार अल्लाह ने तुम्हें बताया है।


तथा फरमाया:

﴿ وَاذْكُرُوا اللَّهَ فِي أَيَّامٍ مَعْدُودَاتٍ ﴾ [البقرة: 203]

अर्थात:थता इन गिनती के कुछ दिनों में अल्लाह को स्मरण करो।


अय्याम-ए-तश्रीक़ (ई़दुलअज़ह़ा के पश्चात के दीन दिन) खाने पीने और अल्लाह को याद करने के दिन हैं।


का एक लाभ है: ईमान में वृद्धि और अल्लाह तआ़ला के शआ़इर ( इस्लामी पूजा-पाठ के स्थान,काल एवं चिन्हों) का सम्मान:

﴿ ذَلِكَ وَمَنْ يُعَظِّمْ شَعَائِرَ اللَّهِ فَإِنَّهَا مِنْ تَقْوَى الْقُلُوبِ ﴾ [الحج: 32].

अर्थात:यह (अल्लाह का आदेश है),और जो आदर करे अल्लाह के प्रतीकों (निशानों) का तो यह नि:सन्देह दिलों के आज्ञाकारी होने की बात है।


﴿ لَنْ يَنَالَ اللَّهَ لُحُومُهَا وَلَا دِمَاؤُهَا وَلَكِنْ يَنَالُهُ التَّقْوَى مِنْكُمْ كَذَلِكَ سَخَّرَهَا لَكُمْ لِتُكَبِّرُوا اللَّهَ عَلَى مَا هَدَاكُمْ وَبَشِّرِ الْمُحْسِنِينَ ﴾ [الحج: 37].

अर्थात:नहीं पहुँचते अल्लाह को उन के माँस न उन के रक्त,परन्तु उस को पहुँचता है तुम्हारा आज्ञा पालन,इसी प्रकार उस (अल्लाह) ने उन (पशुओं) को तुम्हारे वश में कर दिया है,ताकि तुम अल्लाह की महिमा का वर्णन करो उस मार्गदर्शन पर जो तुम्हें दिया है और आप सत्कर्मियों को शुभ सूचना सुना दें।


अल्लाह के बंदो यह ह़ज्ज के कुछ लाभ एवं कुछ प्रभाव हैं,सह़ीह़ बात यह है कि ह़ज्ज के अंदर अनेक लाभ और पाठ पाए जाते हैं,जैसा कि अल्लाह तआ़ला का यह सामान्य कथन है:

﴿ لِيَشْهَدُوا مَنَافِعَ لَهُمْ ﴾ [الحج: 28].

अर्थात:ताकि वह उपस्थित हों अपने लाभ प्राप्त करने के लिए।


सर्वश्रेष्ठ जीव और सबसे पवित्र हस्ती मोह़म्मद सलल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दरूद व सलाम भेजें


صلى الله عليه وسلم.

 





 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
شارك وانشر

مقالات ذات صلة

  • من دروس الحج وآثاره
  • من دروس الحج وآثاره (باللغة الأردية)
  • وعجلت إليك ربي لترضى (من دروس الحج) (خطبة)

مختارات من الشبكة

  • خطبة: فضيلة الصف الأول والآثار السيئة لعدم إتمامه(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الهجرة النبوية: دروس وعبر (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • من دروس البر من قصة جريج (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الهجرة النبوية: دروس وعبر (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • من دروس خطبة الوداع: أخوة الإسلام بين توجيه النبوة وتفريط الأمة (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • ذم الحسد وآثاره المهلكة في الفرد والمجتمع(مقالة - آفاق الشريعة)
  • من دروس الحج وآثاره (عرض تقديمي) الشيخ حسام بن عبدالعزيز الجبرين(مقالة - ملفات خاصة)
  • خطبة: العلاقات العاطفية وأثرها على الشباب(مقالة - آفاق الشريعة)
  • عبر ودروس من قصة آل عمران عليهم السلام (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • عاشوراء: فضل ودروس (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)

 



أضف تعليقك:
الاسم  
البريد الإلكتروني (لن يتم عرضه للزوار)
الدولة
عنوان التعليق
نص التعليق

رجاء، اكتب كلمة : تعليق في المربع التالي

مرحباً بالضيف
الألوكة تقترب منك أكثر!
سجل الآن في شبكة الألوكة للتمتع بخدمات مميزة.
*

*

نسيت كلمة المرور؟
 
تعرّف أكثر على مزايا العضوية وتذكر أن جميع خدماتنا المميزة مجانية! سجل الآن.
شارك معنا
في نشر مشاركتك
في نشر الألوكة
سجل بريدك
  • بنر
  • بنر
كُتَّاب الألوكة
  • 100 متطوع مسلم يجهزون 20 ألف وجبة غذائية للمحتاجين في مينيسوتا
  • مسابقة الأحاديث النبوية تجمع أطفال دورات القرآن في بازارجيك
  • أعمال شاملة لإعادة ترميم مسجد الدفتردار ونافورته التاريخية بجزيرة كوس اليونانية
  • مدينة نابريجناي تشلني تحتفل بافتتاح مسجد "إزجي آي" بعد تسع سنوات من البناء
  • انتهاء فعاليات المسابقة الوطنية للقرآن الكريم في دورتها الـ17 بالبوسنة
  • مركز ديني وتعليمي جديد بقرية كوياشلي بمدينة قازان
  • اختتام فعاليات المسابقة الثامنة عشرة للمعارف الإسلامية بمدينة شومن البلغارية
  • غوريكا تستعد لإنشاء أول مسجد ومدرسة إسلامية

  • بنر
  • بنر

تابعونا على
 
حقوق النشر محفوظة © 1447هـ / 2025م لموقع الألوكة
آخر تحديث للشبكة بتاريخ : 24/3/1447هـ - الساعة: 13:22
أضف محرك بحث الألوكة إلى متصفح الويب